महिला आरक्षण बिल को पारित कराने की अधिकांश राजनीतिक दलों ने वकालत की है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में कांग्रेस पहले स्थान पर थी। आगे हम आपको बताऐंगे लोकसभा और राज्यसभा में महिला सासंदों की क्या गणित है और किन राज्यों में महिला सांसदों की कितनी संख्या है ?
संसद और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए मोदी सरकार महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) लेकर आई है। लोकसभा में इस बिल पर मुहर लग चुकी है। 454 सांसदों ने लोकसभा में इस बिल के लिए अपनी रजामंदी दी। विपक्ष में महज दो वोट पड़े। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने विधेयक का विरोध में मतदान किया है। भारत के अधिकांश विपक्षी राजनैतिक दलों ने इस बिल पर सरकार का समर्थन दिया है। यह 128वां संविधान संशोधन विधेयक है। विधेयक पारित हो जाने के उपरांत लोकसभा में महिलाओं के लिए 181 सीटें आरक्षित होंगी।
कांग्रेस और भाजपा ने बीते लोकसभा चुनाव में कितनी महिला उम्मीदवार को टिकट दिया
अब जानेंगे कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव महिला उम्मीदवारों को किन पार्टियों ने कितनी टिकट दी थीं। महिला उम्मीदवारों को टिकट देने की बात की जाए तो कांग्रेस ने सबसे अधिक 54 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
उधर, बीजेपी की ओर से कुल 53 महिला प्रत्याशियों को टिकट मिला था। बीएसपी ने 24 तो टीएमसी ने 23 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। सीपीएम ने 10, सीपीआई ने 4 और एनसीपी ने 1 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था।
महिला आरक्षण बिल पहली बार कब पेश किया गया था ?
एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा सरकार ने सर्व प्रथम इसे 12 सितंबर 1996 को लोकसभा में प्रस्तुत किया था। इसके उपरांत 23 दिसंबर 1998 को पुनः एक बार इस बिल को पेश किया गया। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जपेयी सरकार ने तीन बार 2000, 2002 और 2003 में इस विधेयक को सदन में पेश किया। मार्च 2010 में महिला सुरक्षा बिल को राज्यसभा में पेश किया गया। बतादें, कि नौ मार्च 2010 को दो तिहाई बहुमत से इस बिल को पारित कर दिया गया।