संभल में जामा मस्जिद पर हुए विवाद के पीछे की क्या कहानी है ?

By :Admin Published on : 25-Nov-2024
संभल

उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आने वाले संभल जनपद में मुगलकाल में बनी हुई जामा मस्जिद के सर्वे के लिए कोर्ट ने आदेश दिया था। रविवार को एक टीम सर्वे के लिए मस्जिद में गई। 

इसके बाद कोर्ट के आदेश का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव और आगजनी की। इसमें हुई फायरिंग के दौरान 4 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।

संभल के दीपा सराय इलाके की जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए कोर्ट ने आदेश दिया था। इस मामले की सर्वे रिपोर्ट 29 नवंबर को प्रस्तुत की जाएगी। चलिए इस लेख में जानें इस मामले की पूरी कहानी के बारे में। 

सबसे पहले तो जानिए यह मामला क्या है ? 

जामा मस्जिद जहां है, उसे हिंदू पक्ष श्री हरिहर मंदिर होने का दावा कर रहा है। इसी दावे के आधार पर कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश भी दिया था। 

संभल के कैला देवी मंदिर के ऋषिराज गिरी सहित आठ वादियों ने सिविल जज सीनियर डिविजन आदित्य कुमार सिंह की चंदौसी स्थित कोर्ट में वाद दाखिल किया है। 

कोर्ट ने कमिशन गठित कर रिपोर्ट मांगी है। बतादें, कि इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में क्या दावा किया ?

हिंदू पक्ष के एक स्थानीय वकील गोपाल शर्मा ने बताया, कि 'कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है, कि बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी ने पुष्टि की है कि उस स्थान पर हरिहर मंदिर था, जहां अब जामा मस्जिद है। 

मंदिर को मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था।' महंत ऋषि राज गिरि महाराज ने 19 नवंबर को सिविल कोर्ट याचिका दायर कर सर्वे की मांग की थी। कोर्ट ने इसी याचिका पर 7 दिन में सर्वे रिपोर्ट मांगी।

संभल में मस्जिद पर हुए विवाद की कहानी 

मस्जिद में आमतौर पर रविवार दोपहर में नमाज होती है। ऐसे में सर्वे करने वाली टीम को इससे पहले आने के लिए कहा गया था। 

सर्वे टीम के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सुबह साढ़े 7 बजे टीम पहुंची और 10 बजे तक सर्वे चला। हम जरूरी तस्वीरें और विडियो लेकर निकलने लगे तभी भीड़ ने घेर लिया और पथराव होने लगा।

संभल में हुए विवाद का प्रमुख कारण क्या है ?

कोर्ट द्वारा सर्वेक्षण का आदेश जारी होने के तुरंत बाद सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू की गई, जिससे मुस्लिम समुदाय में असंतोष उत्पन्न हुआ। 

उनका मानना है कि इस प्रक्रिया में जल्दबाजी की गई और उनके पक्ष को पर्याप्त समय या अवसर नहीं दिया गया। सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए, जिससे तनावपूर्ण स्थिति पैदा हुई। 

मुस्लिम समुदाय ने इस सर्वेक्षण का भरपूर विरोध किया, जबकि हिंदू पक्ष ने इसे अपनी आस्था से जुड़ा मामला बताया।

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