विधानसभा की 10 सीटों पर छोटी पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार मजबूत स्थिति में थे। कहा जा रहा है, कि विधानसभा चुनाव में वंचित विकास अघाड़ी, बहुजन विकास अघाड़ी, एआईएमआईएम जैसी छोटी पार्टियां भी कुछ सीटों पर जीत हांसिल कर सकती हैं।
साथ ही, 24 से अधिक सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार सशक्त स्थिति में हैं। सोलापुर दक्षिण में कांग्रेस के कद्दावर नेता सुशील कुमार शिंदे ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया है। शिंदे की बेटी यहां से लोकसभा की सांसद भी रही हैं।
2019 में 13 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। 2014 में यह आंकड़ा 8 के करीब था। अगर यह आँकड़ा बढ़ता है, तो निर्दलीय उम्मीदवारों की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
वहीं, 2019 के चुनाव में 11 छोटी पार्टियों ने विधानसभा की 14 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार इन छोटी पार्टियों के प्रदर्शन पर भी सबकी नजर है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विगत लोकसभा चुनाव जैसा ही राजनैतिक समीकरण है। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना- यूबीटी और एनसीपी-शरद जैसे दल शामिल थे, तो दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन में बीजेपी, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजित एक साथ थे।
प्रकाश अंबेडकर समेत कुछ छोटी पार्टियां अकेले ही मैदान में लड़ रही थीं। लोकसभा के इस चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा विधानसभा की 83 सीटों पर बढ़त मिली थी।
अजित पवार की पार्टी को 6 और एकनाथ शिंदे की पार्टी को 38 सीटों पर बढ़त मिली थी।
उधर, कांग्रेस को 63, शिवसेना-उद्धव को 56 और एनसीपी-शरद को 38 सीटों पर बढ़त मिली थी। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को 2 और निर्दलीय को 7 सीटों पर बढ़त मिली थी।
लोकसभा की तुलना में विधानसभा चुनाव के समीकरण अलग होते हैं। कहा जा रहा है, कि जिन सीटों पर बीजेपी को बढ़त मिली थी, उन सीटों पर बहुजन विकास अघाड़ी और प्रकाश अंबेडकर की पार्टी मजबूत स्थिति में है।
दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी ने अपने साथ समाजवादी पार्टी और शेतकारी संगठन को भी जोड़ने का काम किया है।
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महाराष्ट्र की सत्ता का फैसला क्षेत्रीय से अधिक दो राष्ट्रीय पार्टी के प्रदर्शन से तय होगा। कांग्रेस का 65 सीटों पर सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी से है।
इनमें से ज्यादातर सीटें विदर्भ इलाके की हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां काफी बढ़त हाँसिल की थी।
हालांकि, विधानसभा के चुनाव में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी बीजेपी की ओर से मोर्चा संभाल रखा है। कांग्रेस की तरफ से नाना पटोले ने यहां की कमान संभाल रखी है।
ऐसा कहा जा रहा है, कि इन 65 सीटों पर जिस दल को बढ़त मिलेगी, उसका गठबंधन महाराष्ट्र के जादुई नंबर को सुगमता से प्राप्त कर सकता है।
288 सीटों वाली महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों की आवश्यकता होती है। भाजपा इस बार महाराष्ट्र विधानसभा की 160 सीटों पर चुनावी मैदान में लड़ी है।
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महाराष्ट्र में 1995 से लेकर अब तक किसी भी पार्टी को अकेले दम पर बहुमत नहीं मिल पाया है। 1995 में शिवसेना और बीजेपी ने मिलकर सरकार का गठन किया था।
1999 में कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई थी। 2004 में भी कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार ही महाराष्ट्र में गठित हुई।
2009 में भी कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। 2014 में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन की संयुक्त सरकार बनी।
2019 में महाविकास अघाड़ी का गठन हुआ और एनसीपी, शिवेसना और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई।
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 2024 में हम गठबंधन की सरकार बनाएंगे और फिर 2029 में अकेले दम पर सरकार में आएंगे. बीजेपी एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ गठबंधन में है।
दूसरी तरफ इंडिया का भी गठबंधन ही है। यहां भी तीनों दल लगभग बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही है।