मणिपुर में एक काफी बड़ा राजनैतिक परिवर्तन देखने को मिला है। कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को भाजपा से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
इस दौरान एनपीपी ने कहा कि सीएम एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही है।
चलिए जानते हैं, क्या इससे भाजपा की सरकार को कोई खतरा है।
मणिपुर में साल 2022 में विधानसभा चुनाव हुआ था। यहां विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं, जिसमें बहुमत के लिए 31 सीटों की जरूरत होती है।
साल 2022 के चुनाव में बीजेपी ने 32 सीटें, कांग्रेस ने 5 सीटें, जदयू ने 6 सीटें, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 5 सीटें और कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 7 सीटें जीती थीं।
वहीं, कुकी पीपुल्स एलायंस ने 2 और 3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे।
यहां पर ध्यान रखना जरूरी है, कि साल 2022 के चुनाव के बाद जेडीयू के 6 में से 5 विधायक औपचारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए थे,
जिससे विधानसभा में बीजेपी के पास कुल 37 सीटें हो गईं, जोकि बहुमत की 31 सीटों की संख्या से भी ज्यादा है। अब यह साफ़ है,
कि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद भी बीजेपी की सरकार पूरी तरह सुरक्षित है और उसे कोई संकट नहीं है।
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मणिपुर में NPP ने बीजेपी से समर्थन वापस लेने की घोषणा की गई।
इसके तुरंत बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक्टिव मोड में नजर आए और उन्होंने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति को लेकर रविवार को समीक्षा की और शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य में शांति और सुरक्षा बनी रहे।
शाह ने सोमवार को भी सीनियर अधिकारियों के साथ मीटिंग करेंगे।