भारत सरकार देश में विभिन्न प्रकार से टैक्स वसूलती है। यही कारण है, कि सरकारी खजाने में आधे से अधिक भाग टैक्स का होता है। सरकार टैक्स से हांसिल हुए धन को बजट के रूप में रिलीज किया जाता है।
संभवतः आपको जानकारी होगी कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें हजारों करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा करती हैं। अब ऐसी स्थिति में आपके मन में प्रश्न उठता होगा कि आखिर ये करोड़ों रुपये आते कहां से हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस टैक्स का अधिकांश हिस्सा जनता से ही टैक्स के रूप में आता है, जिसे योजनाओं के तौर पर सरकार द्वारा लागू की जाती है।
सरकार की सबसे बड़ी आमदनी टैक्स कलेक्शन के माध्यम से ही होती है। ये दो तरह से होता है, पहला डायरेक्ट टैक्स एवं दूसरा इनडायरेक्ट टैक्स होता है। सरकार कई तरह के टैक्स वसूलती है, जिनमें- इनकम टैक्स, जीएसटी, कस्टम ड्यूटी, कॉर्पोरेट टैक्स, सरकारी बॉन्ड, नॉन डेट कैपिटल और कस्टम ड्यूटी इत्यादि शामिल हैं।
आमतौर पर लोग जानते हैं कि टैक्स और राजस्व सरकार की आमदनी का सबसे बड़ा जरिया होता है। दरअसल, सरकार की आय इन समस्त स्त्रोतों से होती है। सबसे ज्यादा उधार और अन्य देयताएं से फंड हांसिल होता है, उसके बाद जीएसटी और अन्य टैक्स से पैसा मिलता है।
उधार और अन्य देयताएं- 20 पैसे
निगम कर- 18 पैसे
इनकम टैक्स- 17 पैसे
सीमा शुल्क- 4 पैसे
केंद्रीय उत्पाद शुल्क- 7 पैसे
जीएसटी एंव अन्य कर- 18 पैसे
विभिन्न राजस्व से कर- 10 पैसे
कर्ज से इतर कैपिटल इनकम- 6 पैसे (कुल 1 रुपये का हिसाब किताब है)
ब्याज अदायगी- 18 पैसे
केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाएं- 13 पैसे
वित्त आयोग और अन्य अंतरण- 10 पैसे
करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा- 20 पैसे
केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएं- 9 पैसे
आर्थिक सहायता- 6 पैसे
रक्षा- 8 पैसे
पेंशन- 6 पैसे
अन्य व्यय- 10 पैसे (कुल 1 रुपये की आदमनी का हिसाब किताब है)
बतादें, कि समकुल मिलाकर सरकार की आमदनी में 60 से 70 प्रतिशत भूमिका टैक्स की होती है। अब आप यह सोच रहे होंगे कि बाकी के 30% प्रतिशत धनराशि कहां से आती है ? इसके बहुत सारे रास्ते हैं, आपकी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली प्रत्येक चीज में सरकार की भागीदारी होती है। इसका मतलब यदि आप अपना बिजली-पानी का बिल भरते हैं, तो उसमें भी सरकार के खजाने में पैसा जाता है। इसके अतिरिक्त लाइसेंस वितरण, पासपोर्ट-वीजा जैसे भी तरीके हैं।
अब आंकड़ों की बात की जाए तो वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में कुल कर राजस्व 22.17 लाख करोड़ रुपये रहने का आंकलन लगाया गया था। अनुमान के तुलनात्मक कुल राजस्व संग्रह 27.07 लाख करोड़ रुपये रहा, जो बजट अनुमान से करीब 5 लाख करोड़ रुपये अधिक था। ये विगत वर्ष के 20.27 लाख करोड़ रुपये के राजस्व संग्रह के मुकाबले 34% प्रतिशत अधिक था। मतलब कि प्रति वर्ष सरकार का खजाना टैक्स से आने वाले पैसे से भर रहा है और ये कलेक्शन निरंतर बढ़ रहा है।