बिहार में राजनीतिक उठा पटक अभी भी जारी है। अब ऐसे में फ्लोर टेस्ट काफी चर्चा में है। बिहार में नितीश कुमार के पलटी मारने पर शुरू हुए सियासी संकट के बीच फ्लोर टेस्ट का नाम सुनने से ऐसा सवाल मन में आना सामान्य सी बात है, कि फ्लोर टेस्ट होता क्या है ?
तो आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि फ्लोर टेस्ट एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसके माध्यम से यह जाना जाता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत है या नहीं मतलब कि सरकार को विधायकों का समर्थन प्राप्त है कि नहीं।
फ्लोर टेस्ट यह जानने के लिए लिया जाता है, कि क्या सरकार को अभी भी विधायकों का विश्वास प्राप्त है। सरल भाषा में कहें तो फ्लोर टेस्ट एक संवैधानिक प्रणाली है, जिसके तहत राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा जाता है। यह संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों में होता है।
जब किसी एक दल को विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है तो राज्यपाल उस दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। यदि बहुमत पर सवाल उठाया जाता है, तो बहुमत का दावा करने वाले पार्टी के नेता को विधानसभा में विश्वास मत देना होगा और उपस्थित और मतदान करने वालों के बीच बहुमत साबित करना होगा। विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है।
अगर मामला किसी राज्य का है तो फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष द्वारा कराया जाता है। राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी भाँति का हस्तक्षेप नहीं होता है। फ्लोर टेस्ट एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें विधायक विधानसभा में प्रस्तुत होकर अपना मत देते हैं।
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जब भी फ्लोर टेस्ट होना होता है, समस्त पार्टियां अपने विधायकों को व्हिप जारी करती हैं। इस व्हिप के माध्यम से पार्टियां अपने विधायकों को प्रत्येक स्थिति में विधानसभा में उपस्थित रहने के लिए कहती है। अगर कोई विधायक व्हिप का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ दल-बदल कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।
इस बीच HAM के राष्ट्रीय संरक्षक जीतन राम मांझी ने कहा कि NDA में 128 विधायक हैं, और हम जहां तक समझते हैं कि 128 से एक दो और ज्यादा बढ़ेंगे. क्योंकि वर्तमान समय में सभी लोग नरेंद्र भाई मोदी के नेतृत्व के कायल हैं।
किसी भी सदन में चर्चा के बाद स्पीकर वहां मौजूद विधायकों से गुप्त मतदान से समर्थन या विरोध में वोटिंग कराते हैं अगर विश्वास मत प्रस्ताव के समर्थन में ज्यादा विधायकों ने वोट किया तब माना जाता है कि सरकार को सदन में बहुमत हासिल है।