इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है और सर्वोच्च न्यायालय ने इसको लेकर क्या कहा है ?

By :Admin Published on : 15-Feb-2024
इलेक्टोरल

भारत सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा 2017 में की थी। इस योजना को सरकार ने 29 जनवरी 2018 को कानूनन लागू कर दिया था।


आसान भाषा में इसे अगर हम समझें तो इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक वित्तीय जरिया है। यह एक वचन पत्र की तरह है।


जिसे भारत का कोई भी नागरिक या कंपनी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है और अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को गुमनाम तरीके से दान कर सकता है।


इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि "पीएम नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है"। 


भाजपा ने इलेक्टोरल बॉण्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है।


सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता को रद्द कर दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने गुरुवार को सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया।


राहुल गांधी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला 


इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर कहा," सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों के साथ-साथ भारत के संविधान दोनों का उल्लंघन माना है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं।"


कांग्रेस नेता ने आगे कहा, "अदालत का फैसला नोटों पर वोट की शक्ति को मजबूत करेगा। मोदी सरकार चंदादाताओं को विशेषाधिकार देते हुए अन्नदाताओं पर अत्याचार कर रही है।


सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से क्या-क्या कहा गया है ?


  • सुप्रीम कोर्ट का कहना है, कि चुनावी बॉन्ड के जरिए से कॉर्पोरेट योगदानकर्ताओं के बारे में जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए। क्योंकि, कंपनियों द्वारा दान पूरी तरह से बदले के उद्देश्य से है।
  • सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि दो अलग-अलग फैसले हैं एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों के लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी आवश्यक है।
  • सीजेआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को तीन हफ्ते में सारी जानकारी देनी होगी।
  • कोर्ट ने कहा- काले धन को रोकने के लिए दूसरे रास्ते भी हैं।सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि बैंक तत्काल चुनावी बांड जारी करना बंद कर दें।