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भारतीय राजनीति में कुछ ऐसे लीडर रहे जिनकी सादगी, अनुशासन और ईमानदारी ने देश की दशा और दिशा दोनों ही बदल कर रख दी। उनके क्रिया - कलापों ने देश को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया। मोरारजी देसाई (Morarji Desai) उनमें से ऐसे ही एक लीडर थे - जिन्होंने लोकतंत्र, सत्य और नैतिकता में एक अद्भुत मिसाल पेश की।
मोरारजी देसाई का जीवन परिचय
मोरारजी देसाई का जन्म गुजरात के गाँव भदेली जिला बुलसर में 29 फरवरी 1896 को हुआ था। उनके पिता का नाम राचोंदजी देसाई था जो कि एक शिक्षक थे। पिता के दिये गये संस्कारों का ही प्रभाव था मोरारजी में।
ईमानदारी, अनुशासन और सादगी कूट-कूट भरी थी। शिक्षा
स्कूली शिक्षा गृहण करने के बाद उन्होंने स्नातक की डिग्री बड़ौता कॉलेज (Baroda College) से प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने ब्रिटिश प्रशासनिक सेवा में अपनी सेवाएं दी। 1919 में हुये जलियांवाला बाग कांड (Jallianwala Bagh Massacre, 1919) के बाद महात्या गांधी (Mahatma Gandhi) से प्रभावित होकर वे नौकरी छोड़ कर स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े।
स्वतन्त्रता आन्दोलन में उनका योगदान
देसाई जी गाँधी से तो प्रभावित थे ही अत: उन्होंने असहयोग आन्दोलन (Non-Cooperation Movement) और अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन (Quit India Movement) में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार जेलों में डाला किन्तु उन्होंने अपने सिद्धान्तों से समझौता न करके उत्तरोत्तर और मजबूत होकर उभरे। उनकी कर्मठता ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) में एक सम्मान जनक स्थान दिलाया |
राजनीतिक कार्य (Political Career of Morarji Desai)
सन् 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उस समय के बॉम्बे राज्य जो कि अब गुजरात और महाराष्ट्र हैं, में सन् 1952 से 1956 तक मुख्यमंत्री पद को सुशोभित किया। उनकी प्रशासनिक क्षमता, कठोर अनुशासन को देखते हुये 1956 में उन्हें भारत सरकार में वित्तमंत्री (Finance Minister of India) बनाया गया। इस पद पर रह कर उन्होंने कर सुधार और वह भर्ष्टाचार विरोधी नीतियों पर महत्वपूर्ण कार्य किये। 1969 में इंन्दिरा गाँधी (Indira Gandhi) से मतभेद के चलते काँग्रेस पार्टी में हुये विभाजन में वे श्रीमती गाँधी के विरोधी गुट में चले गये।
प्रधानमंत्री कार्यकाल
इन्दिरा गाँधी ने सन् 1975 में देश में आपात काल (Emergency in India) लगाया था। आपातकाल हटने के बाद 1977 में आम चुनाव हुये। चुनाव में जनता पार्टी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की। देसाई जी ने लोक नारायण जय प्रकाश (Jayaprakash Narayan) के नेतृत्व में आपात काल में इन्दिरा गाँधी के खिलाफ आन्दोलन में भाग लिया था। जनता पार्टी की जीत के बाद पार्टी नेतृत्व ने उन्हें 24 मार्च 1977 को भारत का छठा प्रधानमंत्री बनाया स्वतंत्र भारत के वह पहले गैर काँग्रेसी प्रधानमंत्री बने थे।
प्रमुख कार्य
*भारत की परमाणु नीति में उन्होंने शांति और सयम का दृष्टिकोण अपनाया और कहा- " भारत की शक्ति शांति के लिये है"
*पाकिस्तान और चीन से सम्बन्ध सुधारने और Non - Aligned movement की विदेश नीति अपनाई।
* भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान लागू करके शासन में ईमानदारी और पारदर्शिता लाना लागू किया। अनुशासन को बढ़ावा दिया।
* प्रेस की स्वतंत्रता एवं नागरिकों के अधिकारों पर स्वतन्त्रता सुनिश्चित की।
राजनैतिक संकट
जनता पार्टी (Janata Party) में आपसी मतभेद और फूट के कारण देसाई जी ने आदर्श और नैतिकता का पालन करते हुये 1979 में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
आदर्श
देसाई जी शुद्ध शाकाहारी व्यक्ति थे। उन्होंने अपना जीवन सादगी, अनुशासित, योग साधक, आत्म संयमी के रूप में बिताया। उनका जीवन सत्य, अहिंसा और ब्रह्मचर्य पर आधारित था।
मृत्यु
मोरारजी देसाई का निधन 10 अप्रैल 1995 को मुंबई में 99 वर्ष की अवस्था में हुआ था। 1991 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
निकर्ष
मोरारजी देसाई ने आजीवन आदर्शों और सिद्धान्त्रों को अपनाकर अपना जीवन जिया। आज भी भारतीय लोक तंत्र में वे आदर्श नेता के रूप में जाने जाते हैं।