बाल गंगाधर तिलक जिनको लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है। वे एक भारतीय राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, शिक्षक, वकील और स्वतंत्रता सेनानी थे।
बाल गंगाधर तिलक 'लाल बाल पाल' त्रिमूर्ति में से एक थे। ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें 'भारतीय अशांति का जनक' कहा और महात्मा गांधी ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' कहा।
बाल गंगाधर तिलक (1856 - 1920) को लोकमान्य कहा जाता था जिसका अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत व्यक्ति। उन्होंने स्वराज यानी स्वशासन की भरपूर वकालत की।
"स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा" उनका प्रसिद्ध कथन था। उन्होंने नेताओं को स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने में सहायता की थी।
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ था और उनका निधन 1 अगस्त, 1920 में हुआ था।
वे एक प्रभावशाली भारतीय राष्ट्रवादी नेता और समाज सुधारक थे। उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
तिलक की विचारधारा राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने, स्वशासन की वकालत करने और भारतीय संस्कृति और विरासत के संरक्षण के इर्द-गिर्द घूमती थी।
तिलक के नेतृत्व और दृढ़ निश्चय ने उन्हें भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया। इसने उन्हें "लोकमान्य" उपनाम दिया, जिसका अर्थ है "लोगों द्वारा स्वीकार किया गया।"
बाल गंगाधर तिलक ने गणित में स्नातक की डिग्री हांसिल की और वे विधि स्नातक भी थे। उनका विवाह तापीबाई से हुआ था।
उन्होंने शुरुआत में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम किया और फिर पत्रकार बन गए। लोकमान्य तिलक फर्ग्यूसन कॉलेज के संस्थापकों में से एक थे और उन्होंने वहां गणित भी पढ़ाया था। 1 अगस्त, 1920 को संक्षिप्त बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।