भारत के राजनैतिक इतिहास में एचडी देव गौडा (H.D. Deve Gowda) का नाम बडे आदर के साथ लिया जाता है। वे ग्रामीण परिवेश से आते थे। उनका पूरा नाम हरदन हल्ली डोडेगौडा देवगौडा था परन्तु आम जन्‌मानस में वे एच डी देव गौडा नाम से ही पुकारे जाते थे। 

एच०डी० देव गौड़ा का जीवन परिचय

एच • डी • देवगौडा का जन्म हरदन हल्ली गाँव जो कि हासन जिले में पड़ता है और कर्नाटक प्रदेश के अन्तर्गत आता है, में हुआ था। वे किसान परिवार से थे अतः बचपन से ही उन्हें भूमि, किसान और ग्रामीण जीवन से गहरा लगाव था।

एच०डी० देव गौड़ा की शिक्षा

उन्होने अपनी शुरुआती शिक्षा गाँव से ही अर्जित की थी। बाद में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की उन्होंने सार्वजनिक सेवा और राजनीति में से देश सेवा करने का सकल्प लिया।

राजनैतिक जीवन 

एच.डी. देव गौडा ने 1950 और 1960 के दशक में स्थानीय स्तर पर ही राजनीति में सक्रिय भूमिका निभायी। 1962 में वे पहली बार कर्नाटक विधान सभा से चुनाव जीते और और फिर लगातार सात बार विधानसभा की सदस्यता जीते। वे शुरुआत मे काग्रेस विरोधी खेमे में सक्रिय रहे बाद में जनता पार्टी फिर जनता दल से जुड  गये। उन्होंने  क्षत्रीय दलों को राजनीति में सशक्त बनाने का कार्य किया।

मुख्यमंत्रित्व काल

एच.डी. देव गौडा 1994 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने किसानो की समस्याओं के समाधान के लिये ठोस कदम उठाये। उनका मानना था कि किसान और कृषि मजबूत है तो देश मजबूत होगा। 

प्रधानमंत्री पद

सन् 1996 में देव गौडा देश के ग्यारहवें प्रधानमंत्री बने| यह समय जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नही मिला था संयुक्त मोर्चा का गठन किया गया और देव गौडा को प्रधान मंत्री के रूप में चुना। अपने - कार्य काल में उन्होंने संघीय दाचे को मजबूत करने पर बल दिया। उनके नेतृत्व में केन्द्र और राज्यों के सम्बन्धों में सहयोगात्मक संघवाद की मजबूती मिली। उन्होने सिंचाई, कृषि उत्पादन और ग्रामीण विकास पर कार्य किया।

नीतिया

उनकी नीति हमेशा किसान हित और ग्रामीण परिवेश के इर्द-गिर्दै रही। उनही विदेशनीति में भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर बल दिया गया। उनका मानना था कि भारत की विदेशनीति किसी बाहरी दबाब आधारित न होकर देश दित आधारित होनी चाहिये

जनता दल का गठन

देव गौड़ा ने प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद जनता दल (सैक्युलर) का गठन किया जो आज भी सशक्त क्षेत्रीय दल है। उनके पुत्र एच.डी. कुमार स्वामी ने भी कर्नाटक में मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया| जनता दल के माध्यम से किसानों, गरीबों की आवाज को प्रभावशाली रूप से उठाया गया।

व्यक्तित्व और आलोचनाएँ

एच. डी. देव गौड़ा का जीवन सादगी से भरा था। अक्सर वे किसानों के बीच में बैठकर उनकी समस्याएँ सुना करते थे। अपने गाँव से उनका गहर जुडाव होने के कारण विलासिता को उन्होंने अपने जीवन में कभी स्थान नही दिया। उनकी सादगी ने उनको "जनता के नेता" के रूप में स्थान दिलाया। अपने प्रधानमंत्री के कार्य काल में उन्हें कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा| लोगों का मानना था कि उनका कार्यकाल छोटा रहा और वे अपनी विकास योजनाएँ पूरी तरह क्रियान्वित नहीं कर पाये। 

निष्कर्ष

एच.डी. देव गोडा भारतीय राजनीति में सादगी ईमानदारी और ग्रामीण उत्थान के symble बनकर उभरे | उनके आचरण और क्रिय कलाप आज भी नये लीडरों के लिये प्रेरणा स्त्रोत बने हुये हैं। उन्होंने क्षत्रीय दलों की भूमिका को राष्ट्रीय राजनीति में स्थान दिलाया। उनकी राजनीति का केन्द्र बिन्दु "जनता का विकास " रहा न कि सत्ता सुख भोगना। यही दृष्टिकोण उन्हे जनता का एक महान नेता बनाता है।