मिसाइलमैन डॉ A.P.J अब्दुल कलाम का जीवन परिचय

By :Admin Published on : 25-May-2024
मिसाइलमैन

अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम, जो मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जाने जाते हैं। भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में काफी विख्यात थे। 

एपीजे अब्दुल कलाम कौन थे ?

मिसाइलमैन के नाम से जाने जानेवाले  एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनका बचपन संघर्षों से भरा रहा है। 

कलाम साहब हमेशा सीखने की कला को महत्व देते थे। वह बचपन में अखबार बेचते थे, क्योंकि उनके परिवार के पास ज्यादा पैसे नहीं थे और न ही उनके पिता जैनुलाब्दीन ज्यादा पढ़े लिखे थे। कलाम साहब पांच भाई-बहन थे।

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कलाम साहब ने अपना सर्वश्व जीवन और धन भारत की जनता की सेवा में पूर्णतय समर्पित किया। आज भी हर भारत वासी के दिल में कलाम साहब धड़कन की तरह धडकते हैं। 

अब्दुल कलाम साहब को बच्चों से काफी लगाव था इसलिए वह अपने जीवनकाल के अंतिम समय में बच्चों को पढ़ाने और मोरल वेल्यूस का पाठ पढ़ाया करते थे। कलाम साहब बहुत ही विनम्र और छल रहित व्यवहारकुशल महानतम व्यक्ति थे। 

एपीजे अब्दुल कलाम का शुरूआती जीवन

कलाम साहब ने पांच साल की आयु में पढ़ना शुरू कर दिया था। उन्होंने रामेश्वरम से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की। कलाम साहब को उड़ना पसंद था, जैसे खुले आसमान में चिड़ियां उड़ती हैं और उड़ती हुई चिड़िया को देखकर ही कलाम साहब ने तय किया कि उन्हें विमान विज्ञान के क्षेत्र में जाना है। उनकी चाहत पायलट बनने की थी, लेकिन ईश्वर ने उनके लिए कुछ और ही रच रखा था।

इसरो में कलाम साहब की एंट्री

एपीजे अब्दुल कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काफी कार्य किया। 

इसके बाद वह 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में आए, इसरो में कलाम साहब ने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

एपीजे अब्दुल कलाम को क्यों कहा गया मिसाइल मैन?

इसरो में एपीजे अब्दुल कलाम ने परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। 

इस यान से भारत ने रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था। इस मिसाइल को बनाने में उन्होंने कड़ी मेहनत की थी, जिस वजह से उन्हें मिसाइल मैन कहा गया। इसके बाद, कलाम साहब ने देश को कई सारे मिसाइल दिए।