लोकतंत्र के तीन प्रमुख पहलू होते हैं। इनमें विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका शामिल होती है। इन तीनों के बीच संतुलन और समन्वय होना लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहद जरूरी है। आज हम इस लेख में न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के बीच में अंतर और इनके कार्यों की चर्चा करेंगे।
भारत की न्यायपालिका का सबसे जरूरी काम देश के संविधान में लिखे कानून का पालन करना और करवाना है तथा कानून का पालन न करने वालों को दंडित करने का अधिकार भी न्यायपालिका को होता है। भारतीय न्यायिक प्रणाली में न्यायाधीश अपने आदेश और फैसले संविधान में लिखे कानून के अनुरूप लेते हैं। न्यायपालिका निष्पक्ष और स्वतंत्रता से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का काम करती है।
कानून के शासन की रक्षा करना
न्याय सुनिश्चित करना
नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना
विवादों का निपटारा करना
अपराधियों को सज़ा देना
मौलिक अधिकारों की रक्षा करना
सत्ता के संतुलन को बनाए रखना
संविधान की व्याख्या करना और उसकी रक्षा करना
किसी भी कानून की न्यायिक समीक्षा करना
यह सुनिश्चित करना कि संविधान सर्वोच्च है
भारत संघ की विधायिका को संसद कहा जाता है और राज्यों की विधायिका विधानमंडल/ विधानसभा के नाम से जानी जाती है। देश की विधायिका यानी संसद के दो सदन हैं- उच्च सदन राज्यसभा तथा निचला सदन लोकसभा कहलाता है। राज्यसभा के लिये अप्रत्यक्ष चुनाव होता है, इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत के द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार राज्यों की विधानसभाओं द्वारा निर्धारित तरीके से होता है। राज्यसभा को भंग नहीं किया जाता, बल्कि हर दूसरे वर्ष में इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं। वर्तमान में राज्यसभा में 245 सीटें हैं। उनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामजद होते हैं।
कानून बनाना
बजट पारित करना
सरकार बनाना और उसकी निगरानी करना
कार्यकारी नियुक्तियों की पुष्टि करना
संधियों की पुष्टि करना
प्रशासन और न्यायपालिका के सदस्यों पर महाभियोग लगाना और उन्हें पद से हटाना
लोक शिकायतों की सुनवाई करना
विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना
प्रतिनिधित्व करना
विचार-विमर्श करना
संघीय कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति की सहायता करने एवं सलाह देने के लिये अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद होती है। केंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति को हांसिल होती है, जो उसके द्वारा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर संविधान सम्मत ढ़ंग से उपयोग की जाती है। अगर हम सामान्य भाषा में समझें तो कार्यपालिका, सरकार का वह अंग है जो कानून को लागू करता है और प्रशासन चलाता है। यह नीतियों को लागू करने, कानून बनाने और लागू करने, और न्यायपालिका के फैसलों को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है।
कार्यपालिका का कार्य कानून लागू करना
राज्य में शांति और व्यवस्था बनाए रखना
सरकार की नीतियों को लागू करना
प्रशासन को सुचारू तौर पर चलाना
कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना
विधायी निर्देशों को लागू करना
कार्यपालिका का कार्य बजट तैयार करना भी है।
कानून की सुरक्षा करना किस पालिका का कार्य है ?
कानून की रक्षा करना न्यायपालिका का कार्य है।
सरकार की नीतियों को लागू करने का कार्य किस पालिका का है ?
सरकार की नीतियों को कार्यपालिका लागू करती है।
बजट पारित करना किस पालिका का कार्य है ?
बजट पारित करने का कार्य विधायिका का होता है।
नेताहब के इस लेख में हमने न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का अर्थ और इनके कार्यों के बारे में जाना। न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के उपरोक्त में बताए गए अलग-अलग दायित्व होते हैं।