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इन्द्र कुमार गुजराल (Inder Kumar Gujral) भले ही अल्प अवधि के लिऐ सत्ता में आये हो परन्तु अपनी कूटनीतिश दृष्टि से देश को एक नयी दिशा प्रदान की।
इन्द्र कुमार गुजराल का जीवन परिचय
इन्द्र कुमार गुजराल का जन्म एक प्रतिष्ठित पंजाबी परिवार में 04 दिसम्बर 1919 को झेलम, जो कि अब पाकिस्तान में है, हुआ था। इनके पिता का नाम अवतार नारायण गुजराल था। इनके पिता स्वतन्त्रता सेनानी थे। इनकी माता का नाम पुष्या गुजराल था जो कि एक समाज सेवी महिला थी।
इन्द्र कुमार गुजराल की शिक्षा
इन्द्र कुमार गुजराल ने गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर (Government College, Lahore) और उसके बाद फॉर्मन क्रिश्चियन कॉलेज (Forman Christian College) से उच्च शिक्षा प्राप्त की। पारिवारिक संस्कार और शिक्षा का प्रभाव ही था कि उनमें विचार शीलता और संवाद कौशल शुरु से विकिसित हो गया।
राजनैतिक जीवन
आई के गुजराल ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलनों में बढ़-चढ़ कर भाग लिया 1942 मे हुये भारत छोडो आन्दोलन (Quit India Movement) में उन्हें जेल भी जाना पड़ा। स्वतंत्र भारत में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (Indian National Congress) से 1958 में राज्य सभा सदस्य बने। वे सूचना और प्रसारण मंत्री, विदेश मंत्री और जल संसाधन मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
* सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में उन्होंने भारतीय सिनेमा और मीडिया को नई ऊचाइयां दी। दूर दर्शन को जन संचार का सशक्त माध्यम बनाया।
* सन् 1989 में जब वे विदेश मंत्री बने तो भारत की विदेश नीति को neighbourhood First Policy)" से देश को आगे बढ़ाया। जो कि गुजराल सिद्धान्न से जानी जाती है।
गुजराल सिद्धान (Gujral Doctrine)
अपनी विदेश नीति में वे बहुत ही अच्छे कार्य किये जो कि एशियाई देशो के बीच नई सोच विकसित करती है। जो कि निम्न है।
* भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ सहयोग और विश्वास का बढ़ावा देगा।
* छोटे पड़ोसी देशों के साथ प्रतिदान की अपेक्षा नही रखेगा | और उनकी मदद करेगा।
* सभी विवादों का हल शांतिपूर्ण और बात-चीत से हल करेगा।
* किसी भी देश के आन्तरिक मामलों ममें हस्त क्षेप नही करेगा।
* पडोसी देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता का सम्मान करेगा |
प्रधान मंत्रित्व कार्यकाल
इन्द्र कुमार गुजराल 21अप्रैल 1997 को देश के बारहवे प्रधान मत्री (12th Prime Minister of India) बने। कांग्रेस के समर्थन से उन्होंने संयुक्त मोर्चा सरकार (United Front Government) का नेतृत्व किया था। उनके नेतृत्व में भारत-पाक सम्बन्धों में सुधार हुआ और सभी देशों से सम्बन्ध बड़ा।
व्यक्तित्व
गुजराल जी सादगी, सालीनता और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति थे। वे बोलने से अधिक सुनने में विश्वास रखते थे। उनकी शैली deceney, diplomacy और dialogue थी।
लेखक के रूप में
गुजराल जी ने "matters of discretion"नाम से आत्मकथा, लिखी थी। जिसमें उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन, निर्णयो और अपने जीवन से सम्बन्धित पहलुओं को विस्तार से हुआ जो कि आज भी सारगर्मित है।
निधन
उनका निधन 30 नवम्बर 2012 को हुआ था। यह देश के लिये एक अपूरणीय क्षति थी।
विरासत
गुजराल जी की विरासत उनकी Gujral Doctrine and strategie balance प्रदान किया। उनका जीवन संदेश देता है कि " नेतृत्व का अर्थ केवल शासन नहीं, बल्कि समझ और संवाद है।"
निष्कर्ष
गुजरालजी का जीवन सादगी, ईमानदारी और कर्मठता की मिशाल है। उनकी नीति आज भी भारतीय राजनीति की आधार हैं। सच्चे अर्थो में इन्द्र कुमार गुजराल एक visionary diplomat and gentleman states man थे।