देश के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाने वाली स्वतंत्र भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री (First Woman Chief Minister of India) सुचेता कृपलानी (Sucheta Kripalani) भारत की एक शसक्त लीडर रही थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, संविधान निर्माण और राष्ट्र निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई।

सुचेता कृपलानी का जीवन परिचय

सुचेता कृपलानी का जन्म 25 जून 1908 को हरियाणा प्रदेश के अम्बाला में हुआ था। उनके पिता का नाम स्निग्धनाथ मजूमदार था। उनके पिता पेशे से एक चिकित्सक थे। जो कि राष्ट्रवादिता से प्रेरित थे।

सुचेता कृपलानी की शिक्षा

सुचेता कृपलानी ने इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वूमेन, दिल्ली यूनीवर्सिटी से स्नातक की डिग्री (Indraprastha College for Women, Delhi University) ली। उसके बाद बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (Banaras Hindu University), बनारस में शिक्षक का कार्य किया।

स्वतंत्रता संग्राम

स्वतंत्रता संग्राम में कृपलानी महात्मा गांधी के निकटतम सहयोगियों में से एक रही थी। अंग्रेज भारत छोड़ो आन्दोलन (Quit India Movement, 1942) में उन्होंने महिला स्वयं सेवक दल का नेतृत्व किया था। ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। 1942 में उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का नेतृत्व किया। उनका मानना था - "स्वतंत्रता केवल राजनैतिक आजादी नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और महिलाओं की भागीदारी का प्रतीक है। 

संविधान सभा

भारत की आजादी के बाद जब संविधान सभा (Constituent Assembly) का गठन हुआ तो सुचेता कृपलानी उसमें प्रमुख महिला सदस्य के रूप में चुनी गई। वे संविधान सभा के सचिव के रूप में रही। उन्होंने मौलिक अधिकार (Fundamental Rights), महिला समानता (Women’s Equality) और सामाजिक न्याय (Social Justice) पर अपने विचार रखे।

वैवाहिक जीवन

सुचेता जी का विवाह आचार्य जे बी  कृपालानी के साथ हुआ था। उनके पति स्वतंत्रता सेनानी और प्रमुख गांधी वादी नेता थे। दोनों ने मिलकर गांधी वादी विचारधारा, ईमानदारी, और सेवा को ही अपना धर्म माना था। सुचेता जी- "सत्ता को कभी साध्य नहीं, बल्कि सेवा का माध्यम मानती थी।"

मुख्यमंत्री पद

सुचेता कृपलानी भारतीय राजनीति में लोक- सभा सदस्य रही। 1963 में वे उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला मुख्य मंत्री बनी।

उपलब्धियां

* प्रशासनिक सुधार (Administrative Reforms) के अन्तर्गत उन्होंने प्रशासन की जबाब देही सुनिश्चित की। वह क्लीन गवर्नेन्स की प्रबल समर्थक थी।

* शिक्षा और महिला सशक्तिकरण (Education & Women Empowerment) सुधार के अन्तर्गत उन्होंने लड़कियों की शिक्षा और Women Empowerment पर विशेष ध्यान दिया। कन्या विद्यायलयों की स्थापना करायी।

* कृषि और ग्रामीण विकास (Agriculture & Rural Development) के अन्तर्गत किसानों की दशा सुधारने के लिये उन्होंने कोपरेटिव मूमेंट को बढ़ावा दिया। सिचाई योजनाएं सुरू की।

* कर्मचारी आन्दोलन (Leadership during Employee Strike) में जब 1967 में कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी तो उन्होंने दृढ़ता से स्थिति को संभाला। 

लेखिका

उन्होंने महिलाओं की शिक्षा, स्वावलम्वन और नैतिक नेतृत्व पर कई लेख लिखे। उनका मानना था कि - "समाज में समानता तभी सम्भव है जब महिलाओं को समान अवसर और आत्म सम्मान मिले।" 

अंतराष्ट्रीय छवि

संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के स्तर पर हुई बैठको में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। इससे उनकी छवि सशक्त और शिक्षित भारतीय महिला की बनी। 

निधन

सुचेता कृपलानी का निधन 1 दिसम्बर 1974 को हुआ था। उनके सम्मान में प्रदेश सरकार ने कई शिक्षण संस्थाओं, सड़‌को और महिला योजनाओं का नाम उनके नाम पर रखा। जो एक सशक्त लीडर शिप का प्रतीक हैं।

निष्कर्ष

कृपलानी जी का जीवन देश सेवा, ईमानदारी और जनता की सेवा में बीता। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनामी विचारक और अच्छी प्रशासक थी। उनकी नीतियां सिखाती है - "नेतृत्वशक्ति में नही, सेवा में निहित है।" असल मायने में वे भारत की आयरन लेडी थी।