भारतीय इतिहास में ऐसे लीडर हुये है जिन्होंने अपनी प्रतिमा से देश, समाज और पर्यावरण के लिये कार्य किये हैं। त्रिभुवन नारायण सिंह उन्ही नेताओं में से एक रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Uttar Pradesh), एक निर्भीक एवं निष्पक्ष पत्रकार स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद और समाज सुधारक रहे हैं। 

त्रिभुवन नारायण सिंह का जीवन परिचय

त्रिभुवन नारायण सिंह (Tribhuvan Narayan Singh) का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उनका जन्म 8 अगस्त 1904 को हुआ था। वे एक सामान्य और मध्यमवर्गीय परिवार से आते थे। परिवार संस्कारवान था।

त्रिभुवन नारायण सिंह की शिक्षा

उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा वाराणसी (Varanasi, Uttar Pradesh) से ही प्राप्त की थी। उच्च शिक्षा बनारस हिन्दू यूनीवर्सिट (Benaras Hindu University) से कला और राजनीति की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा ग्रहण करते समय ही उनमें Nationalism, समाज सेवा और Intellectual development के प्रति रुझान पैदा हो गया था।

स्वतन्त्रता आन्दोलन (Contribution to Freedom Movement)

महात्मा गांधी से प्रभावित होकर त्रिभुवन नारायण सिंह ने स्वतंत्रता आदोलन में भाग लिया। ब्रिटिश शासन के खिलाफ तीखे लेख लिखने के कारण उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। उनका मानना था कि- " स्वतंत्रता केवल राजनैतिक लक्ष्य नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग की गरिमा का प्रतीक है।"

पत्रकारिता

त्रिभुवन नारायण सिंह राजनीति में आने से पहले एक पत्रकार थे। वे एक प्रसिद्ध अखबार 'द लीडर' इलाहबाद से जुड़े रहे, बाद में इसी अखबार के वे सम्पादक भी बने। इसके अलावा भी उन्होंने कई अखबारों में कार्य किया। उनकी पत्रकारित के निष्पक्षता जनहित, सामाजिक न्याय प्रियता, और बौद्धिक स्पष्टता जैसे गुण थे।

राजनीति (Political Career)

स्वतंत्रभारत में वे देश की राजनीति की मुख्यधार में शामिल होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) के प्रमुख नेता बने। कई बार वे राज्यसभा और लोक सभा के सदस्य बने। उत्तर प्रदेश सरकार में 1952 में वे मंत्री बनाये गये। उन्होंने शिक्षा, प्रशासन और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई सुधार किये। राजनीति को "public Responsibility" मानते थे न कि सत्ता का उपयोग।

मुख्यमंत्री (Chief Minister of Uttar Pradesh)

उत्तर प्रदेश सरकार में त्रिभुवन नारायण सिंह 18 अक्टूबर 1970 को मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनका कार्यकाल अल्प अवधि का रहा था परन्तु उन्होने कई सुधार के कार्य किये।

उपलब्धियां

* शिक्षा में सुधार के अन्तर्गत उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रो में विद्यालयों का विस्तार किया। कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षा सुधार व्यवस्था लागू की।

* प्रशासनिक परिदर्शिता के अन्तर्गत उन्होंने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई सरकारी व्यवस्था में जबाबदेही तय की।

* ग्रामीण विकास नीति के अन्तर्गत उन्होंने गाँवों में सड़क, पेयजल व्यवस्था स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया।

* पब्लिक वेल फेयर के अन्तर्गत उन्होंने Weaker सेक्शन्स के लिये वेलफेयर प्रोग्रामस शुरु किये।

विचारधारा

त्रिभुवन नारायण सिंह मानते थे - शिक्षा ही वह साधन है जो व्यक्ति और समाज दोनों का भविष्य बदलती है।" वे मजदूरी के प्रवल हिमायती थे। बाद में वे पश्चिम बंगाल के गवर्नर बने। आर्थिक नीतियों की भी वे समझ रखते थे।

विशेषताएँ

सादा और सरल जीवन जीने वाले त्रिभुवन नारायण सिंह सादगी, ईमानदारी, बौद्धिकता और जनता से सीधा जुड़ाव रखते थे। वे खादी पहनते थे।

निधन

03 अगस्त 1982 को देश के इस महान नेता का निधन हो गया। उनके द्वारा किये गये कार्यों को आज भी याद किया जाता है। 

निष्कर्ष

त्रिभुवन नारायण सिंह एक विद्वान पत्र‌कार, ईमानदार नेता दूरदर्शी मुख्यमंत्री, सिद्धात वादी राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने देश की एक नई दिशा दी। उनके बारे में कहा जाता है - "त्रिभुवन नारायण सिंह भारत की राजनीतिक और बौद्धिक परम्परा के उज्ज्वल सितारे थे।"