राज्यसभा सदस्यों के लिए चुनाव की प्रक्रिया बाकी आम चुनावों से काफी अलग है। राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं।
यानी कि राज्यसभा सदस्यों का चुनाव सीधे तौर पर जनता नहीं करती, बल्कि जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि राज्यसभा सदस्यों को चुनते हैं।
राज्यसभा चुनाव के लिए राज्यों के विधायकों द्वारा मतदान किया जाता है। इस चुनाव में सीधे जनता मतदाता नहीं करती है। इस चुनाव में जिस पार्टी के पास विधायकों का संख्याबल ज्यादा होता है उस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित हो जाती है।
राज्यसभा चुनाव में न तो गुप्त मतदान होता है और न ही इसमें ईवीएम का प्रयोग होता है। इसमें चुनाव का ढांचा थोड़ा अलग होता है।
राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम के आगे एक से चार तक का नंबर लिखा होता है। इसमें विधायकों को वरीयता के आधार पर उसपर चिह्न लगाना होता है।
राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए कितने वोटों की आवश्यकता होती है ये पहले से ही तय होता है। वोटों की संख्या, कुल विधायकों की संख्या और राज्यसभा सीटों की संख्या के आधार पर निकाली जाती है।
इसमें एक विधायक की वोट की वैल्यू 100 होती है। राज्यसभा चुनाव के लिए एक फॉर्मूला का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कुल विधायकों की संख्या को 100 से गुणा किया जाता है।
इसके बाद राज्य में जितनी राज्यसभा की सीटें हैं उसमें एक जोड़ कर भाग दिया जाता है। इसके बाद कुल संख्या में एक जोड़ा जाता है। फिर अंत में जो संख्या निकलती है वह जीत के लिए चाहिए होता है।
कुल विधायकों की संख्याx100/(राज्यसभा की सीटें+1)= +1
उदाहरण के तोर पर जैसे गुजरात राज्य में राज्यसभा की 11 सीटें हैं। गुजरात में 182 विधायक हैं। मान लीजिए गुजरात में तीन सीटों पर चुनाव हों, तो इसका फॉर्मूला कुछ ऐसा होगा।
182*100= 18200/3+1= 4550+1= 4551 क्योंकि, एक विधायक के वोट की वैल्यू 100 होती है। इसलिए गुजरात में अभी एक राज्यसभा सीट पर जीत के लिए कम से कम 46 विधायकों की जरूरत होगी।
राज्यसभा सीटों का आवंटन राज्य की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होता है। जिस राज्य में जितनी जनसंख्या होती है उस राज्य को उसी हिसाब से सीटें मिलती हैं।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 31 राज्यसभा की सीटें हैं। राज्यसभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है।
राज्यसभा एक स्थाई सदन है। अर्थात यह कभी भी भंग नहीं हो सकता है। इसके एक तिहाई सदस्य प्रत्येक दो वर्ष के उपरांत रिटायर होते हैं।
राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है और वह अस्थाई सदन है।
भारत में राज्यसभा सीटों की कुल संख्या 245 है। इनमें से 233 सीटों पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होते हैं और 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।