भारत माता के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले शहीद भगत सिंह के अमर वचन

By :Admin Published on : 27-Sep-2024
भारत

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वीर शहीद भगत सिंह का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। 27 सितंबर का दिन भारत के इतिहास में एक ऐसे वीर सपूत के नाम पर याद किया जाता है जो कभी अंग्रेजों के सामने नहीं झुका और भारत मां की रक्षा के लिए हंसते-हंसते फांसी के तख्ते पर झूल गया। आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्मदिन है। 

पंजाब के लायलपुर के बंगा गांव में 27 सितंबर 1907 को जन्मे वीर शहीद भगत सिंह काफी कम उम्र से ही स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए और उनकी लोकप्रियता से भयभीत ब्रिटिश हुक्मरान ने 23 मार्च 1931 को 23 बरस के भगत सिंह को फांसी पर लटका दिया। 

एक सिख परिवार में जन्मे भगत सिंह किशन सिंह संधू और विद्या वती के दूसरे बेटे थे। उनके दादा अर्जन सिंह, पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे।

शहीद भगत सिंह जी के कुछ प्रसिद्ध उद्धरण 

  • "वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को नहीं कुचल पाएंगे।"
  • "क्रांति मानव जाति का एक अविभाज्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का अविनाशी जन्मसिद्ध अधिकार है।"
  • "लेकिन मनुष्य का कर्तव्य है प्रयास करना, सफलता संयोग और वातावरण पर निर्भर करती है।"
  • “दर्शन मानवीय दुर्बलता या ज्ञान की सीमाओं का परिणाम है।”
  • "निर्दयी आलोचना और स्वतंत्र सोच क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण हैं।"
  • "मैं एक मनुष्य हूं और मानव जाति को प्रभावित करने वाली हर चीज मुझे चिंतित करती है।"
  • "यदि बहरे को सुनना है तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए।"
  • "विद्रोह कोई क्रांति नहीं है। यह अंततः उसी लक्ष्य तक ले जा सकता है।"
  • "जीवन का उद्देश्य अब मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसे सामंजस्यपूर्ण ढंग से विकसित करना है; परलोक में मोक्ष प्राप्त करना नहीं, बल्कि यहीं इसका सर्वोत्तम उपयोग करना है।"
  • "जो भी व्यक्ति प्रगति के पक्ष में है, उसे पुराने विश्वास के प्रत्येक पहलू की आलोचना करनी होगी, उस पर अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी।"

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