यूपी की इस विधानसभा सीट पर 1996 से नहीं खिल पाएगा कमल, जानें जातीय समीकरण

By :Admin Published on : 23-Oct-2024
यूपी

चुनाव आयोग की तरफ से उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। बतादें, कि जिन 9 सीटों पर उपचुनाव होगा, उनमें कानपुर की सीसामऊ सीट भी शामिल है। 

आपको इस सीट के विषय में एक तथ्य जानकर हैरानी होगी कि यहां पिछले 28 वर्षों से कमल नहीं खिला है। 

मतलब कि भाजपा यहां कभी जीत हांसिल नहीं कर पाई है। आखिरी बार 1996 में यहां कमल खिला था, तब भाजपा के प्रत्याशी राकेश सोनकर जीते थे। वहीं, पिछले 3 चुनावों में लगातार सपा विधायक इरफान सोलंकी जीतते आ रहे थे। 

सीसामऊ सीट पर उपचुनाव की वजह ?

दरअसल, 8 नवंबर 2022 को जाजमऊ थाने में एक महिला ने इरफान सोलंकी पर घर पर कब्जा करने की मंशा से आगजनी करने का मामला दर्ज कराया था। 

इसके बाद एमपी एमएलए कोर्ट ने 7 जून 2024 को इस मामले में सोलंकी को दोषी करार देते हुए उन्हें सात साल की सजा सुना दी, जिससे वो डिस्क्वलिफाई हो गए और उनकी विधायकी चली गई।

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सीसामऊ सीट का सियासी इतिहास क्या है ? 

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी। इरफान सोलंकी ने 69,163 वोट हासिल किए थे और भाजपा प्रत्याशी सलिल विश्नोई को 66,897 वोट मिले थे। 

वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी सुहेल अहमद 5,616 वोटों पर हांसिल कर पाए थे। 

साल 2017 और 2012 में भी इस सीट से सपा प्रत्याशी इरफान सोलंकी जीते ही थे। वहीं, साल 2007 और 2002 में कांग्रेस प्रत्याशी संजीव दरियाबादी जीते थे। इससे पहले 1996, 1993,1991 में निरंतर बीजेपी के प्रत्याशी राकेश सोनकर यहां से जीते थे। 

जानकारी के लिए बतादें कि 1985 में संजीव दरियाबादी की मां कमला भी यहां से चुनाव जीत चुकी हैं। मतलब तीन बार इस सीट पर कांग्रेस, तीन बार बीजेपी और तीन बार सपा जीत हांसिल कर चुकी है।

सीसामऊ सीट का जातीय समीकरण क्या है ? 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यहां समकुल 2 लाख 70 हजार मतदाता हैं। इनमें मुस्लिम लगभग 1 लाख हैं और ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के लगभग 60-60 हजार वोटर हैं। 

इस सीट पर मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित वोटर मुख्य भूमिका निभाते हैं। सपा ने मुस्लिम कैंडिडेट नसीम सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, बसपा ने वीरेंद्र शुक्ला को और अब देखना होगा कि भाजपा क्या दाव चलती है। 

हालांकि, इस सीट पर चुनाव भाजपा के लिए सहज नहीं होगा। क्योंकि, 28 वर्षों से इस सीट पर कमल नहीं खिला है। विगत तीन बार से समाजवादी पार्टी यहां से जीत हासिल करती आ रही है। 

बतादें, कि 9 सीटों पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजे सामने आएंगे। अब देखना यह है कि भाजपा वापसी कर पाती है या नहीं ?

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