भारतीय राजनीति में महिलाओं का हमेशा से ही दबदबा बना रहा है। महिलाएं भारतीय राजनीति में काफी सक्रिय रही हैं।
अब चाहे वह प्राचीन काल की राजकुमारियां रही हों अथवा आज की नेता नगरी की महिला राजनीतिज्ञ हों।
हांलाकि, इन महिलाओं की तादात काफी कम हैं पर इनसे जुड़ा संघर्ष दूसरी महिलाओं को मजबूत बनाने की प्रेरणा देता है।
इनमें से बहुत सारी महिलाएं ऐसी हैं, जो कि साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थीं। इस वजह से यहां तक पहुंचने के लिए भी इन महिलाओं को काफी संघर्ष से गुजरना पड़ा है।
इंदिरा गांधी, जिन्हें इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी के नाम से भी जाना जाता है, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं।
वह आज तक भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री हैं और भारत की दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री हैं, 1967-1984 के दौरान 4 कार्यकालों में प्रधानमंत्री के रुप में इंदिरा गाँधी का योगदान रहा।
सुषमा स्वराज एक ऐसी शक्तिशाली महिला रही हैं, जिनका देश के लिए काफी बड़ा योगदान रहा है। सुषमा राजनीति से पहले सुप्रीम कोर्ट की लॉयर थीं।
इसके उपरांत उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन किया, उसी दौरान 2014 से 2019 तक सुषमा एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्टर के पद पर भी रहीं।
इंदिरा गांधी के बाद सुषमा दूसरी महिला थी, जिन्होंने यह पद संभाला था। सुषमा लगातार 7 बार पार्लियामेंट की सदस्य रहीं है, इसके अलावा 3 बार मेंबर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली के तौर पर रहीं। सुषमा 25 साल की उम्र में कैबिनेट मिनिस्टर बनने वाली पहली महिला बनीं।
इसके अलावा 1998 के दौरान सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री रही। सुषमा जब एक्सटर्नल मिनिस्टर के पद पर थीं तब उन्हें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बहुत सम्मान और प्यार मिला।
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बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सबसे मजबूत महिलाओं में से एक हैं। ममता 2011 में पहली बार बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं थीं।
1998 में कांग्रेस से अलग होने के बाद ममता ने बंगाल की रीजनल पार्टी त्रिमूल कांग्रेस की स्थापना की। बंगाल में ममता इतनी प्रसिद्ध हैं कि उन्हें प्यार से दीदी बुलाया जाता है। ममता ने दो बार रेलवे मिनिस्ट्री की कमान संभाली है।
इसके अलावा ममता कोयला मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय भी संभाल चुकी हैं। ममता बंगाल की सबसे पावरफुल महिला हैं, जिन्होंने अपने दम पर पार्टी को खड़ा किया और 10 सालों से भी ज्यादा सालों तक मंत्री पद पर रह चुकी हैं।
साउथ में अम्मा के नाम से पुकारी जाने वाली जयललिता दक्षिण भारत की सबसे प्रसिद्ध हस्तियों में से एक थीं। जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
दक्षिण भारत की रीजनल पार्टी "ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम" की सचिव के पद पर रह चुकी हैं। जयललिता शुरुआत से ही नेता नगरी का हिस्सा नहीं थी, इससे पहले वो एक अदाकारा के रूप में देश भर में जानी जाती थीं।
उन्होंने तेलगु, कन्नड़ और हिंदी की फिल्मों में काम किया है। जब जयललिता मात्र 15 साल की थी तब उन्होंने एक कन्नड़ फिल्म में बतौर हिरोइन काम किया था। फिल्मों में नाम कमाने के बाद जया राजनीति में आईं और राजनीति में भी खूब नाम कमाया।
1991 से 1996 तक जया मुख्यमंत्री के पद पर रहीं। साउथ के लोग उन्हें बहुत मानते हैं इसका नजारा हमें उनकी मृत्यु के बाद देखने को मिला।
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती उत्तर प्रदेश की सबसे प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञ में से एक हैं। बहुजन समाज पार्टी भारत के सबसे कमजोर वर्गों के लिए मंच रखने वाली पार्टी है।
मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। मायावती को उनके समर्थक बहन के नाम से बुलाते हैं।
मायावती को राजनीति में लाने वाले काशीराम थे, उनसे ही प्रेरित होकर मायावती ने राजनीति में आने का फैसला लिया।
सोनिया गांधी को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। अखिल भारतीय कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल सौ साल पुराने इतिहास में सबसे लंबा रहा है। वह सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष भी हैं।
शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। वह कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ सदस्य हैं।
दीक्षित ने राष्ट्रीय पार्टी को राजधानी में लगातार तीन चुनावी जीत दिलाई हैं। वह 11 मार्च 2014 को केरल की राज्यपाल बनीं, हालाँकि, उन्होंने 25 अगस्त 2014 को पद से इस्तीफा दे दिया।
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राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया भारत की सबसे शक्तिशाली महिला राजनेताओं में से एक हैं।
वसुंधरा राजे को सक्रिय राजनीति में उनकी माँ विजयराजे सिंधिया ने पेश किया, जो एक प्रमुख भाजपा नेता थीं। वसुंधरा 1985 में राजस्थान विधानसभा के लिए चुनी गईं।
अंबिका सोनी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रह चुकी हैं। वर्तमान में सांसद सोनी राज्य सभा में पंजाब राज्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें 1969 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस पार्टी में शामिल किया था। वह गांधी परिवार की पुरानी पारिवारिक परिचित भी हैं।
लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले मराठा नेता शरद पवार की बेटी हैं। वह भारतीय राजनेताओं की नई पीढ़ी का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कई लोगों का मानना है कि सुप्रिया पवार की जगह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष बनेंगी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके गढ़ अमेठी से हराने वाली तेजतर्रार भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भारत की शीर्ष महिला राजनेताओं में से एक हैं।
ईरानी एक अभिनेत्री से राजनीतिज्ञ बनी हैं, जिन्होंने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' नामक टीवी धारावाहिक से प्रसिद्धि पाई। वह 2002 में भाजपा में शामिल हुईं, तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
निर्मला सीतारमण को 2019 में भारत की वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री नियुक्त किया गया था। वह 2006 से भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में पार्टी की सेवा की है।
सीतारमण ने पहले भारत की रक्षा मंत्री, वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री (वित्त मंत्रालय) और वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया है।
दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी सिंह अब अपनी पार्टी की शीर्ष नेताओं में से एक और दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं।
आतिशी सिंह का राजनीति में प्रवेश इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के माध्यम से हुआ था - जिसकी परिणति 2012 में आम आदमी पार्टी के जन्म के रूप में हुई।
उन्होंने पहले दिल्ली सरकार में शिक्षा सलाहकार के रूप में काम किया और बाद में औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया।