दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी सहित बीजेपी और कांग्रेस चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
केजरीवाल के इस बयान से साफ है, कि दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव एक बार फिर त्रिकोणीय मुकाबला होना तकरीबन निश्चित हो चुका है।
आम आदमी पार्टी ने 2013 में अपने आश्चर्यजनक प्रदर्शन के साथ, कुल मतदान का 29% वोट प्राप्त किया था। पार्टी को 70 में से 28 सीटों पर जीत मिली थी।
आप ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई थी। इससे कांग्रेस का वोट शेयर घटकर 24.5% और सिर्फ आठ सीटों के साथ तीसरे स्थान पर आ गई थी।
इसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर क्रमशः 9.7% और 4.3% तक गिर गया। वहीं, आप ने 54.6% और 53.6% वोट शेयर के साथ भारी जनादेश हासिल किया।
ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र में पहले की तरह ही एक सीएम और दो डिप्टी सीएम बनेंगे
वैसे तो आप और कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी गठबंधन बनाने के बारे में सोचा था, लेकिन दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत नहीं हो पाई।
2024 के लोकसभा चुनावों में, बीजेपी के उम्मीदवार सात संसदीय क्षेत्रों के 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 52 पर आगे रहे हैं। वहीं, आप-कांग्रेस संयुक्त रूप से शेष 18 पर आगे हैं।
हालांकि, बीजेपी ने 2020 के विधानसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन में सुधार किया है, लेकिन अगर 2019 के लोकसभा चुनावों से तुलना की जाए तो यह इंडिया गठबंधन के सामने काफी पीछे रह गई है।
उस समय भगवा पार्टी ने त्रिकोणीय मुकाबले में 65 विधानसभा क्षेत्रों में काफी बढ़त हांसिल की थी।
जानकारी के लिए बतादें, कि पांच विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त मिली थी, उनमें अल्पसंख्यक समुदायों की अच्छी खासी आबादी थी।
हालांकि, आप किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हांसिल करने में विफल रही है। लेकिन इसके उम्मीदवार 22 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे।
हालांकि, एक साल बाद कहानी पूर्णतय परिवर्तित हो गई जब आप ने 2020 के राज्य विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हांसिल किया था।
बीजेपी आठ सीटों पर विजयी हुई, जबकि कांग्रेस अपना खाता खोलने में भी विफल रही है।
आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि विधानसभा चुनावों में हाथ मिलाने का विचार कभी भी पार्टी के विचार-विमर्श मंच पर नहीं था।
नाम न बताने की शर्त पर आप के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा अरविंद केजरीवाल का जवाब अचानक आया है।
परंतु, सच्चाई यह है कि हमारी पार्टी ने राज्य चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कभी कोई योजना नहीं बनाई थी।
पदाधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनावों के विपरीत, जहां वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए गठबंधन वक्त की आवश्यकता थी, आप को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से किसी समर्थन की आवश्यकता नहीं है।
कांग्रेस का शहर में अपना वोट आधार बरकरार नहीं है। हम अपने दम पर भाजपा को हराने में सक्षम हैं। कांग्रेस का समर्थन करके, हमें पार्टी को अपना आधार फिर से बनाने में मदद क्यों करनी चाहिए ?