श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके अपने पहले विदेशी दौरे पर 15 दिसंबर को भारत आए हुए हैं।
श्रीलंका के कैबिनेट प्रवक्ता नलिंदा जयतिसा ने कहा है कि राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का भारत दौरा 15-17 दिसंबर तक होगा।
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति अनुरा कुमारा, भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत देश के शीर्ष नेताओं से मुलाक़ात करेंगे। इस दौरे में हुए द्विपक्षीय समझौतों की घोषणा अंत में की जाएगी।"
इसी साल 22 सितंबर को आए नतीजों में वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत दर्ज की, उसके बाद से भारत की मीडिया में चिंता ज़ाहिर की गई थी।
अनुरा कुमारा दिसानायके जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता हैं और उन्होंने वामपंथी पार्टियों के गठबंधन नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी) से चुनाव लड़ा था, जिसकी राजनीति को भारत विरोधी माना जाता रहा है।
पहले भी ऐसा होता आया है कि श्रीलंका में चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति अपने पड़ोसी देश भारत की यात्रा को प्राथमिकता देते रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आर सनथ ने बीबीसी तमिल से कहा कि दिसानायके का अपनी पहली यात्रा के लिए भारत चुनने के पीछे प्राथमिकता एक कारण है।
वो कहते हैं, "हालांकि श्रीलंका अपनी विदेश नीति में गुटनिरपेक्ष नीति का अनुसरण करता है और भारत को प्राथमिकता और अहमियत देना उसने जारी रखा है।"
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उन्होंने कहा, "इस नीति पर टिके रहने के रूप में ही नए राष्ट्रपति अपने पहले विदेशी दौरे के लिए भारत का चुनाव करते हैं।
यहां तक कि जब सत्ता परिवर्तन होता है तब भी अधिकांश देशों में विदेश नीति में पूरी तरह बदलाव नहीं आता है। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के दौरे को भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।"
"भारतीय मीडिया के एक हिस्से में ये डर ज़ाहिर किया गया था कि जेवीपी (जनता विमुक्ति पेरामुना) की शुरुआती भारत विरोधी नीति और चीन से उसके क़रीबी संबंध के कारण भारत के प्रति श्रीलंका का रवैया बदल सकता है।"
आर सनथ कहते हैं, "मेरे विचार से, इसीलिए अनुरा दिसानायके की यात्रा में एक संदेश यह भी है कि उनके शासन में भी भारत की अहमियत कम नहीं होगी."
उनके मुताबिक़, "भारत का अनुमान था कि नेशनल पीपुल्स पॉवर राष्ट्रपति चुनाव में विजयी होगा। इसीलिए यह ध्यान देने की बात है कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले दिसानायके दिल्ली गए थे और बातचीत की थी।"
आर सनथ कहते हैं, "राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके का ध्यान डिजिटल इकोनॉमी पर है। जबकि भारत डिजिटल इकोनॉमी में अग्रणी है। इसीलिए, इस मुद्दे पर अधिक ध्यान दिए जाने की उम्मीद है।"
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आर सनथ ने कहा कि चीन और अमेरिका दिसानायके के भारत दौरे पर क़रीबी नज़र रख रहे हैं। वो कहते हैं, "दिसानायके दिल्ली का अपना दौरा पूरा करने के बाद जनवरी में चीन जाने वाले हैं।
यह एक किस्म का संदेश है कि भारत के साथ मिलकर काम करने के बावजूद चीन के साथ श्रीलंका के दोस्ताना रिश्ते में कोई बदलाव नहीं आएगा।"
उनके मुताबिक, "भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसलिए श्रीलंका को पूरी तरह उन देशों के साथ चले जाने से रोकना चीन के लिए जरूरी है।" इसके अलावा ब्रिक्स के सदस्य देशों का दौरा करना भी महत्वपूर्ण है।
आर सनथ कहते हैं, "ब्रिक्स संगठन की सदस्यता हासिल करने में अभी तक श्रीलंका सफल नहीं हो पाया है। आज की दुनिया में ब्रिक्स संगठन को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके पास आर्थिक ताक़त भी है।"
वो कहते हैं, "इसलिए राष्ट्रपति का दो विदेशी दौरा ब्रिक्स देशों में हो रहा है, इससे श्रीलंका को अतरिक्त लाभ मिलने की उम्मीद है। यह दौरा कर्ज़ के पुनर्गठन समेत अन्य मुद्दों में भी मददगार साबित हो सकता है।"
श्रीलंका में सरकार में बदलाव की वजह से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव आया है और कई देश श्रीलंका की दिशा पर नज़र रखे हुए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही कारण है कि राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने पहले भारत और फिर चीन का दौरा करने का फै़सला किया है।