महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति की बंपर जीत के पश्चात मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर असमंजस चल रहा है।
महायुति गठबंधन में सर्वाधिक सीटें जीतने वाले दल- भारतीय जनता पार्टी (BJP), एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) है।
अब ऐसे में साफ जाहिर है कि सीएम भी कोई इन्हीं में से बनेगा। हालाँकि, इस समय मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार हैं- बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना के एकनाथ शिंदे।
ऐसे में मुख्यमंत्री के नाम पर फाइनल मुहर लगाने में अजित पवार सीएम मेकर का रोल अदा कर सकते हैं।
महायुति की समकुल 235 सीटों में से भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है। इन चुनावी आंकड़ों को देखें तो बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के बिना सरकार नहीं बना सकती।
सरकार बनाने के लिए 145 का जादुई आंकड़ा चाहिए, इसलिए उसके लिए किसी एक का साथ जरूरी है।
उधर, शिवसेना और एनसीपी भी मिलकर कुछ नहीं कर पाएंगे, क्योंकि दोनों मिलकर भी सिर्फ 98 सीटों का आंकड़ा ही छू पाएंगे।
हालांकि, अजित पवार अपना स्टैंड क्लियर कर चुके हैं कि अगर देवेंद्र फडणवीस सीएम बनते हैं तो इससे उनको कोई परेशानी नहीं है। उनके इस बयान से शिवसेना खासी नाराज नजर आ रही है।
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पूर्व मंत्री और शिवसेना के पदाधिकारी रामदास कदम ने मंगलवार (26 नवंबर, 2024) को कहा कि अजित पवार की वजह से महायुति में सीएम पद पर दावेदारी करने के लिए शिवसेना की शक्ति कम हो गई है।
क्योंकि एनसीपी प्रमुख ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनना चाहिए और बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को बनाना चाहती है और अजित पवार ने फणवीस के नाम पर सरेंडर कर दिया।
इस तरह उन्होंने हमारी दावेदारी की शक्ति कम कर दी है। वैसे जो भी हो, लेकिन महायुति में कोई विवाद नहीं होगा। हमने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और हमें बड़ी जीत मिली।'
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सीटों के अंतर देखें तो एनसीपी को इस बात का भी एहसास है कि अगर देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनते हैं तो उनका महायुति में शिवसेना के बराबर कद होगा।
क्योंकि 132 सीटों पर जीतने वाली बीजेपी के बाद शिवसेना और एनसीपी गठबंधन में दूसरे नंबर की पार्टी हैं।
सोमवार को महायुति में हुई बैठक के बाद लगता है कि अजित पवार देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में एक बार फिर डिप्टी सीएम पद लेने के लिए तैयार हैं।
जिस तरह 2019 के चुनाव में हुआ था। हालांकि, तब 80 घंटे में ही बीजेपी की सरकार गिर गई थी।
दूसरा अजित पवार इस पर विचार कर सकते हैं कि अगर एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनते हैं तो सीटों के अंतर की वजह से वह एनसीपी के लिए बीजेपी के समान पद की मांग कर पाएंगे।