हरियाणा के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। परंतु, इस बार पहले के मुकाबले कम महिला उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा गया है। अब तक वर्ष 2014 में सबसे ज्यादा महिला विधायक चुनकर आई थीं।
इस चुनाव में कुल 101 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं। महिलाओं की यह संख्या साल 2014 और 2019 के चुनावों के मुकाबले काफी कम है।
साल 2014 में कुल 116 महिलाएं विधानसभा का चुनावी मैदान में उतरीं थीं। साथ ही, वर्ष 2019 में 108 महिलाएं चुनाव लड़ी थीं।
आश्चर्यचकित करने वाली बात ये भी है, कि चुनाव लड़ने वाले 60 दलों में से 47 ने पिछले रुझानों को देखते हुए किसी भी महिला उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है।
हरियाणा राज्य में 5 अक्टूबर को यह निर्धारित हो जाएगा कि यहां की सत्ता पर कौन बैठने जा रहा है। समस्त राजनीतिक दलों की ओर से भरपूर प्रचार कर चुनाव में दम झोंका जा चुका है।
विगत चुनावों में महिलाओं की हिस्सेदारी समझने के लिए हमें सूची देखनी होगी। दरअसल, वर्ष 2014 में सबसे ज्यादा 116 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा गया था।
इसके बाद 2019 में समकुल 108 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया। वर्ष 2024 में ये तादात सिर्फ 101 है। साल 1996 में कुल 93 और 2009 में 69 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं।
वहीं, सबसे कम महिला उम्मीदवार वर्ष 1967 के चुनाव में मैदान में उतरी थीं, जिनकी संख्या केवल 8 थी। हालांकि, इस चुनाव में 8 में से 4 महिलाओं ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह साल 1968 के चुनाव में 12 और 1972 के चुनाव में 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।
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हरियाणा में पहले चरण का मतदान होने से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आज योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा में धुआंधार रैली की है। वहीं, आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की भी सामूहिक रैली हुई है।
राहुल, प्रियंका की हरियाणा में विजय संकल्प रैली के दौरान एक दिलचस्प दृश्य देखने को भी मिला है। दरअसल, कांग्रेस में इस वक्त भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा दोनों के बीच मान-मनौव्वल का प्रयास किया जा रहा है। दोनों ही नेता सीएम पद को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहते हैं।
इस बीच एक अलग तस्वीर देखने को मिली जो कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा का हाथ अपने हाथों से पकड़कर मिलवाया।
इस दौरान जनता ने जमकर तालियां बजाईं। हालांकि, दोनों ही नेताओं के जो हावभाव थे, उससे साफ जाहिर होता है कि इसके लिए ना तो हुड्डा तैयार थे और ना ही शैलजा। चूंकि ये काम राहुल गांधी ने किया तो दोनों ने बिना किसी झिझक के हाथ मिला लिया।