भारत अब जी-20 की अध्यक्षता संभालने जा रहा है, विश्व नेता के रूप में विकास की तरफ बढ़ेगा भारत

By :Admin Published on : 05-May-2023
भारत

दुनिया की जीडीपी का 85% प्रतिशत विश्व कारोबार का 75 प्रतिशत एवं  विश्व की 60  प्रतिशत जनसंख्या जी-20 देशों में ही रहती है। भारत ऐसे वक्त में जी-20 की अध्यक्षता संभालने जा रहा है, जब पूरी दुनिया में तनाव है।


फिलहाल, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मन की बात कार्यक्रम में कहा है, कि ‘भारत के पास विश्व कल्याण, शांति एवं पर्यावरण की चुनौतियों का निराकरण है। भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता मिलना अपने आप में एक बड़ा अवसर है। भारत ने एक परिवार, एक पृथ्वी और एक भविष्य की जो थीम दी है, उससे वसुधैव कुटुंबकम् के लिए हमारी प्रतिबद्धता जाहिर होती है।’ बिना किसी शंका के जी-20 को विश्व नेतृत्वकर्ता समूह के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।


अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, तुर्की, रूस, चीन, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा, सऊदी अरब, जर्मनी, इडोनिशिया, इटली, मेक्सिको जैसे देशों के बीच भारत की यह स्वीकार्यता बदलती विश्व व्यवस्था को साफ तौर पर प्रदर्शित कर रही है। दुनिया की जीडीपी का 85 प्रतिशत, विश्व कारोबार का 75 प्रतिशत और विश्व की 60 प्रतिशत जनसंख्या जी-20 देशों में निवास करती है। फिलहाल, भारत काफी बड़े ताकतवर और बड़े समूह की अध्यक्षता एक दिसंबर से संभालने जा रहा है। इस अवसर का इस्तेमाल करते हुए भारत को विश्व कल्याण पर ध्यान केंद्रित करना होगा।


जी-20 देशों की बैठक में पीएम मोदी ने कहा यह युद्ध का युग नहीं है 


दुनिया के मंचों पर भारत की विशेष एवं प्रभावी होती भूमिका को अब दुनिया के प्रमुख देश स्वीकारने लगे हैं। गत दिनों इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 देशों की बैठक में भी यह स्पष्ट रूप से देखने को मिला है। विगत दिनों उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से वार्तालाप के दौरान जब कहा कि यह लड़ाई झगड़े का युग नहीं है। तब उस पर दुनिया को बेहद आश्चर्य हुआ, क्योंकि भारत हथियारों और तेल की आपूर्ति के लिए काफी हद तक रूस पर निर्भर है। रूस से खरीदा जाने वाला ईंधन फिलहाल भले ही भारत की समकुल जरूरतों का बहुत छोटा भाग है। परंतु, यह भी सच्चाई है, कि इस वक्त भारत में पेट्रोल-डीजल के भाव तीव्रता से बढ़ने से रोकने में भारत को अगर सफलता मिल पाई है, तो उसका सबसे बड़ा कारण रूस से सस्ती दर पर मिल रहा कच्चा तेल है।


वैश्विक स्तर पर भारतीय कूटनीति क्या है 


मोदी जी के बयान के बाद में एक कार्यक्रम में व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और मोदी जी एक देशभक्त राजनेता हैं, जो अपने देश की उन्नति और भलाई के हिसाब से नीति निर्धारित करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है, कि विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका बढ़ने वाली है। इसकी पुष्टि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर प्रमुख नेताओं द्वारा कही जा रही यह बात कर रही है कि हम भारत के हितों के लिहाज से कोई भी निर्णय लेंगे। पुतिन की ही भांति फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों भी भारत के अच्छे मित्रों में गिने जाते हैं। 


गत दिनों मैक्रों ने जी-20 की बैठक से प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक चित्र साझा करते हुए लिखा कि हम भारत की अध्यक्षता में शांति के मुद्दे पर मिलकर कार्य करेंगे। स्पष्ट है, कि खाद्य सुरक्षा, आतंकवाद, वित्तीय समावेशन एवं ऊर्जा पर विश्व के विकसित देश भारत के नेतृत्व में चल रहे मुद्दों को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। अमेरिकी मीडिया सामान्यतः भारतीय प्रधानमंत्रियों के बयान को बड़ी प्रमुखता नहीं देता है। परंतु, अमेरिका को मोदी का 'यह युद्ध का युग नहीं है' वाला यह बयान अपने पक्ष में लगा तो वह मोदी की प्रशंसा में जुट गया। जाहिर है, अमेरिका, रूस एवं चीन की तिकड़ी के मध्य फंसी विश्व व्यवस्था में भारतीय कूटनीति के संतुलन का यह अप्रतिम उदाहरण देखने को मिल रहा है।


अब जब भारत जी-20 की अध्यक्षता करने जा रहा है, उससे तुरंत पहले भारत की विश्व नेता के रूप में यह स्वीकार्यता एक सकारात्मक संकेत है। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को वैकल्पिक एवं अक्षय ऊर्जा की तरफ तीव्रता से लेकर जा रहा है। परंतु, भारत की ऊर्जा जरूरतों के पथ में किसी प्रकार की बाधा खड़ी करने का प्रयास हुआ तो यह विश्व अर्थव्यवस्था हेतु अच्छा नहीं होगा। इस वक्त रूस-यूक्रेन के मध्य चल रहे युद्ध के कारण पूरी दुनिया में खाद्य एवं ऊर्जा आपूर्ति पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।


भारत जी-20 की अध्यक्षता संभालने जा रहा है 


आज का खाद संकट कल का खाद्य संकट में परिवर्तित ना हो सके। इसके लिए आवश्यक है, कि विकसित देश एक साथ मिलकर आपूर्ति सुचारु करने की कोशिश करें। भारत लोकतंत्र की जननी है, यह बात दुबारा से स्थापित हो रही है। गत दिनों बाली में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग एवं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मुलाकात के उपरांत चीन की तरफ से जारी बयान में जिस प्रकार से अमेरिकी शैली के लोकतंत्र एवं चीनी शैली के लोकतंत्र की बात की गई थी। उसमें भारतीय लोकतंत्र की स्थापना काफी महत्वपूर्ण है। यहां इस बात पर भी गौर करना होगा कि अमेरिका हो या चीन, दोनों ही देश इस स्थिति में नहीं हैं कि कह सकें कि यह युद्ध का युग नहीं है। क्योंकि, दोनों ही देश युद्ध की स्थिति के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार नजर आते हैं। इस वजह से भारतीय लोकतंत्र का उदाहरण दुनिया के अन्य देशों को सहजता से समझ आता है।


अब सब बातों का निचोड़ यह है, कि भारत ऐसे वक्त में जी-20 की अध्यक्षता करने जा रहा है, जब संपूर्ण विश्व में तनाव की स्थिति है। अर्थव्यवस्था में कमजोरी दिखाई दे रही है। साथ ही, खाद्य एवं ऊर्जा के भावों में तीव्रता से वृद्धि हो रही हैं। आशा है, कि भारत अपनी अध्यक्षता के समय इनका निराकरण प्रस्तुत करेगा। पहले प्रधानमंत्रित्व काल में नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत द्वारा विश्व व्यवस्था में बदलाव करके बहुध्रुवीय विश्व निर्माण का जो आरंभ किया था। अब दूसरे कार्यकाल में वह सच होता दिख रहा है। इस पर दुनिया के विकसित देशों की भी मंजूरी मिलती नजर आ रही है।

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