भाजपा को विगत लोकसभा चुनाव में काफी बड़ा झटका लगा था। भाजपा को यूपी ने चौंकाते हुए बहुमत से दूर कर दिया था।
हालाँकि, लोकसभा चुनाव के बाद हुए इन उपचुनावों में पूरी तरह नजारा पलट गया है। उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने ये बाजी 7-2 से जीत ली है।
भाजपा की एनडीए ने 9 में से 7 सीट जीतकर एक बार फिर से उत्तर प्रदेश में वापसी कर ली है। ऐसा कहा जा रहा है, कि उपचुनाव में मिली जीत मुखयमंत्री योगी आदित्यनाथ के 'बटेंगे तो कटेंगे' नारे और पार्टी संगठन की जमीनी तैयारियों का नतीजा है।
उत्तर प्रदेश में 9 में से 7 सीटों पर मिली जीत दिखाती है, कि इस बार पार्टी संगठन और सरकार में परस्पर संधि को दर्शाता है।
विशेषकर, कुंदरकी और कटेहरी में मिली जीत भाजपा के लिए संजीवनी के समान सिद्ध हुई है। भाजपा की इस जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी आत्मविश्वास से भर दिया है।
भाजपा द्वारा इस बार उपचुनाव से पूर्व सदस्यता अभियान की शुरुआत करना कारगार साबित हुआ है। इस अभियान के लिए पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जनता के बीच में गए। हर मोर्चे को सदस्यता का टारगेट मिला है।
ऐसे में उपचुनाव वाली सीटों पर भी डोर टू डोर भाजपा के नेता-कार्यकर्ता जनता के पास पहुंचे और संपर्क साधा।
दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की कोई खास सक्रियता थी ही नहीं, जिसका नतीजा भी पार्टी को देखने को मिला था।
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लोकसभा चुनाव के परिणामों की समीक्षा बैठक में ये बात सामने निकल कर आई थी, कि कार्यकर्ता उदासीन हैं। इसके पीछे ज़िलों में उनकी शिकायत न सुने जाने की बात थी।
इसी के साथ ये बात भी सामने आई की अधिकारी भी कार्यकर्ताओं की शिकायत पर ध्यान नहीं देते हैं।
इसे देखते हुए लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रदेश नेतृत्व की तरफ से कई बार संदेश दिया गया और कहा गया कि कार्यकर्ताओं के सम्मान से कोई समझौता नहीं होगा।
ये रणनीति भी काफी कारगर साबित रही। इसके साथ तालमेल बनाकर संगठन के पदाधिकारियों विशेष तौर पर महामंत्री, उपाध्यक्ष और प्रदेश मंत्रियों को लगाया गया था।
इससे इन कार्यकर्ताओं को उस विधानसभा की जमीन समझने और काम करने के लिए अच्छा-खासा समय मिल गया है।
भाजपा ने यूपी के विधानसभा उपचुनाव को काफी गंभीरता से लिया है। सरकार ने पूरी तरह से रणनीति बनाकर कार्य किया है। चुनाव का पूरा प्रबंधन देखने को मिला।
संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह और प्रदेश अध्यक्ष भी संगठन के मोर्चे पर कार्य करते रहे। अनुभवी कार्यकर्ताओं को बूथ विजय कराने की जिम्मेदारी प्रदान की गई।
इसके साथ पन्ना प्रमुख की संरचना को भी जमीन पर उतारा गया था। इस प्रकार से भाजपा ने इन उपचुनावों के जरिए से यूपी में दमदार वापसी की है।