भारत सरकार ने मंगलवार ( 24 जनवरी) को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया है। सरकार ने यह फैसला उनकी 100 वीं जयंती के मौके पर किया है। ऐसा माना जा रहा है, कि सरकार ने इस कदम से विपक्ष से जातीय राजनीति का मुद्दा छीन लिया है।
मीडिया एजेंसियों ने हाल ही में एक त्वरित सर्वे किया है। सर्वे में बिहार के 1280 लोगों की सलाह ली गई। सर्वे में लोगों से पूछा गया है, कि क्या कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर BJP ने विपक्ष से जातीय राजनीति का मुद्दा छीन लिया ? इसके जवाब में 44% प्रतिशत जनता ने हां कहा है, जबकि 35 प्रतिशत ने नहीं में जवाब दिया है। इसके अलावा 21% प्रतिशत लोग इस पर जवाब नहीं दे सके।
जातीय जनगणना की मांग करता रहा है विपक्ष
बतादें, कि विपक्ष विगत कुछ समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहा है। इसके अतिरिक्त वह बीजेपी पर पिछड़ों को सम्मान नहीं देने का आरोप लगाता रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अपनी रैलियों में जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं।
नीतीश कुमार ने की मोदी सरकार की तारीफ
सिर्फ इतना ही नहीं केंद्र के इस दांव से विपक्षी गठबंधन के टूटने तक का खतरा भी मंडराने लगा है। साथ ही, नीतिश कुमार के पलटी मारने की संभावना भी बढ़ गई है। दरअसल, कर्पूरी ठाकुर भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सरकार की तारीफ की है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पूर्व मुख्यमंत्री और महान समाजवादी नेता स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाना हार्दिक प्रसन्नता का विषय है। केंद्र सरकार का यह अच्छा निर्णय है।"
उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी 100वीं जयंती पर दिया जाने वाला यह सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव उत्पन्न करेगा। हम हमेशा से ही उनको भारत रत्न देने की मांग करते रहे हैं। सालों पुरानी मांग आज पूरी हुई है इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद।