आजकल देशभर की एजेंसियां काफी सक्रिय नजर आ रही हैं। विपक्ष का यह आरोप है, कि मोदी सरकार विपक्ष को कमजोर करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों और प्रवर्तन निदेशालय का हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।
जो बीजेपी के खेमे में शामिल नहीं हो रहे उन्हें जेल में डाला जा रहा है, जैसे कि मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन, संजय सिंह यहाँ तक कि झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राजनीतिक साजिश के तहत जेल में डाला गया है।
हाल ही, में प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से केजरीवाल के लिए 7 वां समन भेजा है। अब इससे यह जाहिर होता है, कि केजरीवाल के जेल जाने की पूरी आशंका है।
J&K के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक पुलवामा में शहीद हुए जवानों के लिए मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। वर्तमान में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के मामले पर सीबीआई ने पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आवास पर छापेमारी की।
वहीं जांच एजेंसी ने 30 से अधिक अन्य जगहों पर छापेमारी की। 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
इसके बाद सीबीआइ ने पिछले साल अप्रैल में एक मामला दर्ज किया था। इस मामले में जांच एजेंसी ने कई अधिकारियों और व्यक्तियों से जुड़े परिसरों पर पिछले तीन मौकों पर तलाशी ली थी।
मामला दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने पिछले साल अप्रैल में 10 स्थानों पर और जून 2022 में 16 स्थानों पर तलाशी ली। इस साल मई में भी 12 स्थानों पर तलाशी ली गई थी।
सीबीआई ने पहले कहा था, "2019 में किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (HEP) के लगभग 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्यों का ठेका एक निजी कंपनी को देने में भ्रष्टाचार के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।"
एजेंसी ने चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (पी) लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी और अन्य पूर्व अधिकारियों एम एस बाबू, एम के मित्तल और अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
हालाँकि, अभी सच्चाई का पर्दा उठना बाकी है। जाँच एजेंसी इस मामले को लेकर काफी सक्रिय नजर आ रही है। साक्ष्यों को जुटाने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।