छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव : कोरबा जनपद की पाली-तानाखार सीट को लेकर कांग्रेस व भाजपा में घमासान

By :Admin Published on : 11-Oct-2023
छत्तीसगढ़



कोरबा जनपद के अंतर्गत आने वाली आदिवासी सीट पाली-तानाखार में इस बार घमासान मचने की स्थिति बनने लगी हैं। राज्य बनने के उपरांत साल 2003 से इस सीट से कांग्रेस पार्टी जीत हासिल करती आ रही है। प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के अपनी मरवाही सीट छोड़ने वाले भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने कांग्रेस में शम्मिलित होने के उपरांत इस सीट से 2003 में चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की।


पाली- तानाखार विधानसभा में सर्व आदिवासी समाज के एकजुट होने से राजनीतिक दलों के समीकरण बिगड़ गए हैं। टिकट नहीं मिलने पर कंवर समाज ने पृथक से प्रत्याशी खड़ा करने की घोषणा कर दी है। यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस, भाजपा व गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी का समीकरण बदल जाएगा।


कंवर समाज ने अपनी दावेदारी का ऐलान किया है 


साल 2008 और 2013 में भी कांग्रेस से विधायक रहे, पर वर्ष 2018 में उइके पुन: भाजपा में शम्मिलित हो गए। इसके बाद उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं, कांग्रेस के मोहितराम केरकेट्टा उनको हराकर जीत दर्ज की। कांग्रेस का गढ़ बन चुकी पाली-तानाखार सीट पर इस चुनाव में कंवर समाज ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है। सातगढ़ आदिवासी समाज ने बैठक कर यह साफ कर दिया है, कि राजनीतिक पार्टी कंवर समाज को प्रतिनिधित्व करने का अवसर दें, इसके लिए एक नाम पर सहमति बनाकर आगे बढ़ा दिया है।


बैठक के दौरान यह भी फैसला लिया गया है, कि अगर राजनीतिक पार्टी अनदेखी करती है, तो समाज स्वयं चुनावी मैदान में उम्मीदवार उतारेगी। इसके उपरांत कांग्रेस और भाजपा में खलबली मच गई है। क्योंकि इस इलाके में कंवर समाज के तकरीबन 45 हजार मतदाता हैं और गोंड समाज के उपरांत दूसरे क्रम में है। इसके साथ-साथ कंवर समाज को बाकी आदिवासी समाज के लोग भी समर्थन कर रहे हैं।


गोंड़ समाज 4 हिस्सों में बट गया है 


पाली- तानाखार क्षेत्र में गोड़ समाज का अच्छा-खासा वर्चस्व है। यहां तकरीबन 60 हजार मतदाता गोंड समाज से जुड़े हुए है। पूर्व में एकजुटता होने के चलते यहां से गोंड़ समाज के हीरा सिंह मरकाम जीत अर्जित करते रहे। परंतु, आहिस्ते-आहिस्ते समाज अलग अलग गुटों में बंट गया। वर्तमान में गोंड समाज चार हिस्सों में बंट गया है। एक भाग वर्तमान में भी गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) से जुड़ा हुआ है, तो दूसरा भाजपा, तीसरा कांग्रेस और वर्तमान में कुछ लोग आम आदमी पार्टी से जुड़ गए हैं। इसी वजह से हीरासिंह का पार्टी गोंगपा को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ रहा है।


पाली- तानाखार विधानसभा क्षेत्र में बिंझवार व महंत समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है 


पाली- तानाखार विधानसभा क्षेत्र में बिंझवार और महंत समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। यहां तकरीबन 22 हजार मतदाता बिंझवार और 25 हजार मतदाता महंत समाज के साथ जुड़े हुए हैं। बतादें, कि इनका शत-प्रतिशत मतदान कांग्रेस को मिलता है। आदिवासी समाज अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारती है, तो बिंझवार समाज के लोग कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं। अब ऐसी स्थिति में आदिवासी समाज को बढ़ोतरी मिलने को लेकर अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। यही कारण है, कि भाजपा से भी ज्यादा कांग्रेस में खलबली मचती दिखाई दे रही है। हालांकि, कांग्रेस के दो ब्लाक अध्यक्ष कंवर समाज से आते हैं। लेकिन, सामाजिक बात होने पर दबाव काम नहीं आएगा।


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