भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में पंडित नेहरू एवं बाकी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों के योगदान को लेकर कांग्रेस एवं भाजपा के मध्य जुबानी जंग चल रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस संदर्भ में कांग्रेस ने इसरो की स्थापना में पंडित नेहरू के योगदान को पचाने में असमर्थ लोगों की कड़ी आलोचना करते हुए 28 मिनट का वीडियो एक्स पर साझा किया है। कांग्रेस का कहना है, कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहन देते थे।
विपक्षी दल अपने नेताओं के प्रयासों को उजागर कर रहा है, तो वहीं सत्तारूढ़ दल का दावा है, कि 2014 के पश्चात इस क्षेत्र में बड़ी उन्नति व प्रयास हुआ है। कांग्रेस का कहना है, कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को काफी ज्यादा प्रोत्साहित करते थे। इसके साथ ही कांग्रेस ने पंडित नेहरू की आलोचना करने वालों पर भी जमकर निशाना साधा।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने वीडियो साझा किया
रविवार को 'एक्स' पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने बताया है, कि "नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को प्रोत्साहन देते थे। ISRO के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो TIFR (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें।" रमेश ने कार्यक्रम में नेहरू के भाषण का एक वीडियो भी शेयर किया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तुलनात्मक तौर पर निशाना साधते हुए कहा, "वह बादलों से रडार को बचाने वाले विज्ञान के ज्ञाता की भांति केवल बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे बल्कि बड़े-बड़े फैसले लेते थे।"
चंद्रयान-3 की सफलता हर एक भारतीय की कामयाबी है
चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफलता के उपरांत कांग्रेस ने कहा था कि यह प्रत्येक भारतीय की सामूहिक सफलता है। इसरो की उपलब्धी निरंतरता की गाथा को प्रदर्शित करती है। यह वास्तव में शानदार है।
कांग्रेस ने इसरो की स्थापना किस सन में की थी
कांग्रेस का कहना है, कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में INCOSPAR के गठन के साथ चालू हुई, जो होमी भाभा एवं विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ भारत के प्रथम प्रधान मंत्री नेहरू के उत्साही समर्थन का नतीजा था। उसके बाद अगस्त 1969 में साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की स्थापना की।