कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया, जानें क्या है इसमें खास

By :Admin Published on : 05-Apr-2024
कांग्रेस

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में कुछ ही समय शेष है। इसलिए सियासत में सरगर्मी तेज हो गई हैं। 

वहीं, शुक्रवार (5 अप्रैल) को कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद भारत की राजनीतिक पार्टियों के बीच बयानबाजी तीव्र हो गई है।। 

कांग्रेस द्वारा आज अपना घोषणापत्र जारी करने के अवसर पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी उपस्थित रहे। 

इस घोषणा पत्र में कांग्रेस ने पांच न्याय और 25 गारंटी को शामिल किया है। कांग्रेस ने इस घोषणा पत्र को ‘न्याय पत्र’ का नाम दिया है।

कांग्रेस के घोषणा पत्र में 5 न्यायिक गारंटी क्या हैं ?

शुक्रवार (5 अप्रैल) को कांग्रेस द्वारा जारी किए गए ‘न्याय पत्र’ में मुख्य रूप से पांच न्यायिक गारंटी की बात की गई है। इसके अंतर्गत ‘हिस्सेदारी न्याय’, ‘किसान न्याय’, ‘नारी न्याय’, ‘श्रमिक न्याय’ और ‘युवा न्याय’ शामिल है। 

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने शुक्रवार को 48 पेज का घोषणा पत्र जारी किया। दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया, राहुल, खड़गे और मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष पी चिदंबरम ने 5 न्याय और 25 गारंटी का ऐलान किया। 

पार्टी के घोषणा पत्र में मजदूरी 400 रुपए दिन करने, गरीब परिवार की महिला को साल में 1 लाख रुपए देने, MSP को कानून बनाने और जाति जनगणना कराने का जिक्र है।

कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में युवा, महिला, मजदूर और किसान पर ध्यान केंद्रित किया है। इन समस्त वर्गों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की योजनाओं का वादा किया गया है। 

कांग्रेस का कहना है, कि उसका घोषणा पत्र वर्क, वेल्थ और वेलफेयर पर आधारित है। यहां वर्क का अर्थ रोजगार, वेल्थ का अर्थ आमदनी और वेलफेयर का मतलब सरकारी योजनाओं के फायदे दिलाना है।

कांग्रेस पार्टी की तरफ से इन अन्य 4 बड़ी घोषणाओं का ऐलान किया है ?

पहली - वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध। लोकसभा और विधानसभा चुनाव तय समय पर ही करवाएंगे।

दूसरी - मतदान EVM के जरिए होंगे, लेकिन VVPAT की पर्ची से मिलान किया जाएगा।

तीसरी - 10वीं अनुसूची में संसोधन का वादा। इसके तहत दलबदल करने पर विधानसभा या संसद की सदस्यता स्वयं समाप्त हो जाएगी।

चौथी - पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां सख्ती से कानून के अनुरूप कार्य करेंगी। हर मामले को संसद या राज्य विधानमंडलों की निगरानी में लाया जाएगा।


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