राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां उसके निज राष्ट्र के अधीन होती हैं। सरकार के दो रूप तय करते हैं कि किसी देश में एक या दोनों कार्यकारी होने चाहिए।
वे सरकार के राष्ट्रपति और संसदीय रूप हैं। दुनिया में कुछ देश प्रधानमंत्री को चांसलर भी कहते हैं। आइए जानते हैं, भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच के अंतर के बारे में।
प्रधान मंत्री भारत के प्रधानमंत्री कार्यपालिका के नेता और देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं। वहीं, भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक है और सर्वोच्च पद पर आसीन है। प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है, जबकि राष्ट्रपति देश का औपचारिक प्रमुख होता है।
प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद यह निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं कि कौन सी नीतियां और विधेयक पारित किए जाएं। लेकिन, राष्ट्रपति की स्वीकृति और सिफारिश के बिना विधेयक पारित नहीं किये जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री को न्यायपालिका से संबंधित मामलों पर कोई अधिकार नहीं है। राष्ट्रपति की न्यायिक शक्ति का सबसे बड़ा दायरा मृत्युदंड की सजा पाए अपराधियों को क्षमादान देना है।
यदि लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दे तो प्रधानमंत्री को पद से हटाया जा सकता है। परंतु, राष्ट्रपति को केवल महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है, जिसके लिए राष्ट्रपति को हटाने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।
भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, तो राष्ट्रपति का चुनाव संसद और विधान सभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह महाभियोग प्रक्रिया तभी लागू होती है जब राष्ट्रपति को भारत के संविधान का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है।
प्रधानमंत्री उस पार्टी से संबंधित होता है, जिसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त होता है। राष्ट्रपति का किसी पार्टी से संबंधित होना आवश्यक नहीं है। प्रधानमंत्री के पास आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार नहीं है। लेकिन, राष्ट्रपति के पास आपातकाल की स्थिति घोषित करने की शक्ति है।
जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे ( 14 नवंबर 1889 - 27 मई 1964) वहीं, राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे ( 3 दिसंबर 1884 – 28 फरवरी 1963).