कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुडा केस में एफआईआर दर्ज की गई है। यह केस लोकायुक्त ने दर्ज कराया है। कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
कर्नाटक में MUDA घोटाले मामले में सीएम सिद्दरमैया की मुश्किलें बढ़ती हुई जनर आ रही हैं। लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) साइट आवंटन मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।
इससे पहले बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिया था।
मीडिया खबरों के अनुसार, बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार को मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस जांच का आदेश दिया था, जिससे उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आधार तैयार हो गया।
इससे पहले उच्च न्यायालय ने एक आदेश में राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी के फैसले को बरकरार रखा था।
अर्बन डेवलपमेंट संस्थान मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) ने साल 1992 में किसानों से कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए ली थी।
इसके बदले 'MUDA की इंसेंटिव 50:50 स्कीम' के जरिए जिन किसानों की जमीन ली गई थी, उनको विकसित भूमि में 50 प्रतिशत साइट या एक वैकल्पिक साइट दी गई।
मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने 1992 में इस जमीन को डीनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया। बाद में साल 1998 में अधिग्रहित भूमि का एक हिस्सा डीनोटिफाई कर किसानों को वापस कर दिया। मतलब कि एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई।
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सिद्दरमैया की पत्नी पार्वती सिद्दरमैया के नाम मैसूर जिले के केसारे गांव में तीन एकड़ और 16 गुंटा जमीन थी। यह जमीन पार्वती के भाई मल्लिकार्जुन ने उन्हें साल 2010 में तोहफे में दी थी।
मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने इस जमीन को अधिकृत किए बिना ही देवनूर के तीसरे चरण का विकास किया था। दावा किया कि इस जमीन के बदले 2022 में बसवराज बोम्मई सरकार ने पार्वती को साउथ मैसूर के पॉश इलाके में 14 साइट्स दिए थे। इनका 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,283 वर्ग फीट एरिया था।