हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने आज छह दलबदलू कांग्रेस विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दिया है। बतादें, कि विधायकों पर राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने पर कार्रवाई की गई है।
कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत छह को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी।
कुलदीप सिंह पठानिया ने इसको लेकर प्रेस वार्ता में कहा कि तीन पेज का एक डिटेल ऑर्डर जारी किया गया है। एंटी डिफेक्शन लॉ के 10 शेड्यूल के तहत बतौर ट्रिब्युल के जज के तौर पर यह फैसला मैंने सुनाया है।
साथ में रजिस्ट्रार भी मौजूद हैं। पठानिया ने कहा कि छह माननीय जो हमारे हैं, उन्होंने चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ा था।
एंटी डिफेक्शन लॉ की पिटीशन दायर हुई है। इसी संदर्भ में याचिका संसदीय मंत्री की तरफ से आई है। सभी बागियों को सुनवाई का अवसर दिया गया।
विरोधी वकील को कहा कि नौ बजे तक सुनवाई चल सकती थी। परंतु, छह बजे तक सुनवाई हुई एवं रिकॉर्ड प्रस्तुत किया गया। वकील सतपाल जैन ने वक्त मांगा था।
फैसले को लेकर पठानिया ने कहा कि फैसला पब्लिक डोमेन में हैं। उन्होंने कहा कि व्हिप जारी किया गया था। विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। बजट के दौरान भी मौजूद नहीं थे।
सुनवाई के दौरान भी ये विधायक व्यक्तिगत तौर पर पेश नहीं हुए हैं। कांग्रेस विधायक और संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत छह को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी।
कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल के लिए जो व्हिप जारी किया गया था, उसमें भी इन सभी विधायकों के सिग्नेचर थे।
ऐसे में समय देने का सवाल नहीं उठता। उन्होंने कहा कि मंगलवार को भी जब सदन स्थगित हुआ तो विधायक सदन में आकर बैठे। लेकिन कार्यवाही के दौरान उपस्थित नहीं रहे।
कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि उन्होंने नियमों के अंतर्गत यह फैसला लिया है। यह समस्त विधायक दल-बदल कानून के तहत दोषी पाए गए हैं।
अयोग्य घोषित किए गए इन विधायकों के सामने अब कोर्ट में फैसले को चैलेंज करने का रास्ता खुला हुआ है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दल बदल कानून को इसलिए बनाया गया है। ताकि विधायकों की खरीद फरोख्त न हो।
उन्होंने कहा कि वह आने वाले समय में इस मामले को लेकर बड़ी-बड़ी बातें भी बताएंगे। हालांकि उन्होंने खरीद फरोख्त को लेकर पूछे गए सवाल पर कुछ भी कहने से इनकार किया।
पठानिया ने कहा कि वह सिर्फ यह बताना चाहते हैं, कि इस कानून की अहमियत क्या है? उन्होंने कहा कि इन विधायकों ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता और जनता ने इन पर विश्वास किया।
ऐसे में अब इन्होंने अब पार्टी के व्हिप का उल्लंघन कर दल बदल कानून की अवहेलना की।
बतादें, कि हिमाचल में राज्यसभा की एक खाली सीट के लिए मंगलवार को चुनाव हुए, जिसमें समकुल 68 विधायकों ने मतदान किया था।
कांग्रेस के पास 40 विधायक थे। परंतु, हद तो तब हो गई जब इनमें से छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।
अब इसके पश्चात कांग्रेस के पास केवल 34 विधायक ही बचे हैं। बीजेपी के पास निर्दलीय मिलाकर 28 विधायक थे। लेकिन उसको क्रॉस वोटिंग का फायदा हुआ और उसके पास भी विधायकों की कुल संख्या 34 हो गई।