भारतीय राजनीति में समय के चलते कई सारे सामान्य व ऐतिहासिक बदलाव देखे जाते हैं। भारत कई तरह के रंगों की रंगोली है। आजकल लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं, जिनका परिणाम 4 जून को आना है।
भाजपा और कांग्रेस के साथ अन्य सहयोगी दलों में काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। वर्तमान में लोकसभा के केवल 4 चरणों के चुनाव संपन्न हुए हैं, अभी 3 चरणों में भारत के लोगों का मतदान होना अभी बाकी है।
विपक्ष का कहना है, कि भाजपा और NDA मिलकर भी लोकसभा की 200 सीटों का आंकड़ा नहीं छू पाएंगे। जबकि पीएम मोदी और भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता अबकी बार 400 पार का नारा लगाते हुए नजर आ रहा है।
लोकसभा चुनाव से पहले 22 जनवरी को हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की वजह से निश्चित तोर पर भाजपा को एक बड़ा मतदान प्राप्त हो सकता है।
क्योंकि, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से हिन्दू मतदातों को इतनी ख़ुशी और उत्साह है, कि उन्हें कोई और मुद्दा ना दिखाई दे रहा है और ना ही वो किसी और मुद्दे पर नजर डालना चाहते हैं।
विपक्ष ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को भाजपा का राजनीतिक इवेंट बताकर अस्वीकार कर दिया था। अगर सामाजिक ताने बाने की बात करें तो इससे हिन्दुओं में उन सभी राजनीतिक दलों के प्रति रोष है, जो रामलला को काल्पनिक बताते हैं।
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अगर हम विगत 2014 के लोकसभा चुनावों से देखें तो भाजपा निरंतर अपने जीत के आंकड़े को बढ़ाती जा रही है। भाजपा राम मंदिर, धारा 370 हटाना और तीन तलाक जैसे कानूनों की वजह से देश के बहुसंख्यकों के दिल में अपनी अलग छाप छोड़ चुकी है।
अब हर जगह भाजपा का एक ही नारा चल रहा वह है कि अबकी बार 400 पार, फिर से एकबार मोदी सरकार। हालाँकि, स्वयं अखिलेश यादव ने कहा है, कि उत्तर प्रदेश में उनका इंडी गठबंधन 80 में 79 सीट जीत रहा है, जो एक सीट उनको हाथ से निकलती दिख रही है वह पीएम मोदी की वाराणसी सीट है।
अब यह फैसला तो 4 जून को हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है, बकाया सभी छोटे से लेकर बड़े राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत को नतीजों से पूर्व ही घोषित कर रहे हैं।