एनसीपी नेताओं के कैबिनेट में शामिल होने पर संख्या बढ़कर 29 हुई, जानें किसको कौनसा मंत्रालय मिला

By :Admin Published on : 15-Jul-2023
एनसीपी


आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि एनसीपी की विधायक अदिति तटकरे को मंत्री का पद मिला है। वो वर्तमान सरकार में पहली मंत्री हैं, जिन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है। एमवीए सरकार में भी वो मंत्री थीं।


महाराष्ट्र में अजित पवार के गुट वाले विधायकों को विभाग सौंप दिए गए हैं। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे की सरकार ने एनसीपी नेताओं के बीच विभागों का बंटवारा शुक्रवार (14 जुलाई) को कर दिया। इसमें अदिति तटकरे शिंदे सरकार की पहली महिला मंत्री बन गई हैं। महाराष्ट्र के रायगढ़ के श्रीवर्धन सीट से विधायक अदिति तटकरे उन विभागों में शामिल थी, जिन्होंने अजित पवार के साथ 2 जुलाई को महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी। अदिति शिंदे सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया है। इससे पहले महाविकास अघाड़ी की सरकार में अदिति तटकरे राज्यमंत्री थीं और उनके पास कई पोर्टफोलियो थे।


एनसीपी के इन विधायकों को मिली यह जिम्मेदारी 


दरअसल, दो सप्ताह के उपरांत एनसीपी के विधायकों को विभाग बांट दिए गए हैं। उप मुख्यमंत्री अजित पवार को वित्त और योजना विभाग दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अजित पवार वित्त मंत्रालय के लिए अड़ गए थे। यानी अजित पवार को शिंदे सरकार में उनका मनचाहा मंत्रालय दिया गया है। अजित पवार के अतिरिक्त धनंजय मुंड को कृषि, दिलीप वलसे पाटिल को को-ऑपरेशन, हसन मुश्रीफ को मेडिकल एजुकेशन, छगन भुजबल को फूड और सिविल सप्लाई, धर्मराव आत्राम को फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन, संजय बनसोडे को खेल और अनिल पाटिल को रिलीफ, रिहैब्लिटेशन और डिजास्टर मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। 


एनसीपी नेताओं के कैबिनेट में शामिल होने पर संख्या बढ़कर 29 हुई 


एनसीपी नेताओं के कैबिनेट में शम्मिलित होने के पश्चात महाराष्ट्र में कैबिनेट मंत्रियों की तादात बढ़कर 29 हो गई है। इससे पहले शिंदे की नेतृत्व वाली शिवसेना ने अजित पवार को वित्त मंत्रालय दिए जाने पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी। जैसा कि हम जानते हैं, कि 2 जुलाई को महाराष्ट्र में हुए सियासी उठापटक ने संपूर्ण भारत का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था। शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी और एनसीपी में फूट पड़ गई। अजित पवार ने एनसीपी पर भी दावा ठोका हुआ है और मामला चुनाव आयोग की दहलीज तक पहुंच गया है।


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