लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद देशभर की राजनैतिक पार्टियां मैदान में कूद पड़ी हैं। हर एक राजनीतिक दल अपनी-अपनी विचारधारा और मुद्दों को लेकर जनता के बीच पैंठ बनाने में जुटे हुए हैं।
अब ऐसे में इलेक्टोरल बांड का मामला भी गरमाया हुआ है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड डेटा के प्रकाशन पर विपक्ष के हंगामे के बीच भाजपा ने अब पलटवार किया है।
चुनावी बॉन्ड को लेकर पहले विपक्ष भाजपा पर हल्ला बोल रहा था, लेकिन डेटा के प्रकाशित होने के बाद भाजपा विपक्ष पर जमकर निशाना साध रही है।
आरपी सिंह ने कहा, "कुल 20000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड में से 6000 करोड़ रुपये के बॉन्ड बीजेपी के पास गए हैं, जबकि 14000 करोड़ रुपये के बॉन्ड विपक्ष के पास गए हैं।
हर कोई जवाबदेह है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी के लिए समान रूप से लागू होगा।
बतादें, कि सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में एक फैसले में केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था, जिसने राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति दी थी और एसबीआई को चुनावी बॉन्ड जारी करना तुरंत बंद करने का आदेश दिया था।
चुनावी बॉन्ड को लाने के बारे में बोलते हुए आरपी सिंह ने कहा कि इन बॉन्ड के तहत राजनीतिक दलों को दान किए गए धन का हिसाब-किताब किया जाता है। क्योंकि वे बैंकों और कंपनी के अकाउंट्स के माध्यम से सामने आ जाते हैं।
भाजपा ने कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना इसलिए शुरू की गई थी, ताकि नकदी के माध्यम से भ्रष्टाचार को रोका जा सके।
आज, पैसा बैंकों और कंपनियों के अकाउंट्स के माध्यम से आते हैं। पहले, यह सारा पैसा नकद में आता था। यह काला धन था।