प्रशांत किशोर के लिए 95 फीसद समर्थकों ने जताया विश्वास लड़ सकते हैं लोकसभा का चुनाव

By :Admin Published on : 05-Jan-2023
प्रशांत

प्रशांत किशोर राजनीतिक रणनीतिकार से कार्यकर्ता बनके फिलहाल बिहार में पदयात्रा कर रहे हैं। हालाँकि इस संबंध में एक ठोस दावा करने से बचते आए हैं कि वह या उनका संगठन चुनाव में हिस्सा लेगा कि नहीं लेगा। हालांकि, उनके समर्थकों के मध्य एक जनमत सर्वेक्षण के द्वौरान नतीजे, जिनमें से 95 फीसद से ज्यादा ने एक जनपद में 2024 के लोकसभा चुनावों में हिस्सा लेने का समर्थन किया। समर्थकों ने चुनाव में भागीदारी लेने के मामले में  अपनी राय देकर इस बात को मजबूती प्रदान की है। किशोर राजनीतिक दिशा की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। जैसा कि वह सामान्यतः कहते आए हैं, कि अभियान के प्रतिभागियों का इस विषय या मुद्दे पर अंतिम कहना होगा। 

रविवार को पहला मतदान किया गया था 

आयोजकों द्वारा कहा गया है, कि जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraj Padayatra) के अनुयायियों के मध्य रविवार को प्रथम मतदान आयोजित किया गया था। जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या संगठन को संसदीय चुनाव लड़ना चाहिए या नहीं। इस मतदान के अंतर्गत केवल वह लोग प्रतिभागी थे, जो पूर्वी चंपारण जनपद में अभ्यास में शम्मिलित हुए थे।

कब कराया गया था सर्वेक्षण

बीते नवंबर माह में पश्चिम चंपारण जनपद में अनुयायियों के मध्य एक सर्वेक्षण कराया गया था। जिसका मुख्य उद्देश्य अभियान को एक राजनीतिक दल का रूप लेने की आवश्यकता है अथवा नहीं। मतदान के दौरान 2,887 व्यक्तियों द्वारा भाग लिया गया, जहां तकरीबन 2,808 (97 फीसद से ज्यादा) लोगों ने इसका समर्थन किया गया था।

राजनीतिक दल का रूप लेने के समर्थन में 98 फीसद लोग 

आयोजकों के अनुसार बताया गया है, कि पूर्वी चंपारण में 98 फीसद से ज्यादा अनुयायियों द्वारा राजनीतिक दल के गठन के पक्ष में समर्थन किया गया। वहीं 95 फीसद से ज्यादा 3691 व्यक्तियों में से 3,515 का मत था, कि अगला लोकसभा चुनाव लड़ा जाए।

बिहार की सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी एवं पलायन

तकरीबन 50 फीसद लोगों ने बेरोजगारी एवं पलायन को बिहार की दो सबसे गंभीर समस्या बताया है। हालाँकि, 33 फीसद ने कहा कि भ्रष्टाचार सबसे चुनौतीपूर्ण समस्या है। वहीं 17 फीसद से ज्यादा लोगों ने किसानों की बुरी हालत को बड़े स्तर पर गरीब राज्य के समक्ष सर्वोच्च समस्या के रूप में चुना है।

समर्थक बताएँगे चुनाव लड़ा जाए कि नहीं 

किशोर ने बताया है, कि यह अभियान से संबंधित लोगों को निर्णय करना है, कि सुचारू कवायद को राजनीतिक रूप लेना चाहिए अथवा नहीं। वह बेतिया जनपद से महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर से आरंभ हुई पदयात्रा के दरमियान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार की आलोचना करते दिखाई दे रहे हैं। 

प्रशांत किशोर जदयू नेता भी रह चुके हैं 

प्रशांत किशोर ने 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के उपरांत बताया था, कि वह किसी भी राजनीतिक दल एवं चुनाव प्रबंधन का भाग नहीं बनेंगे। किशोर का जनता दल (यूनाइटेड) में एक राजनेता के तौर पर संक्षिप्त करियर रहा है। उन्हें नागरिकता (संशोधन) अधिनियम हेतु पार्टी के समर्थन के विरुद्ध अपने मुखर स्टैंड के लिए जनवरी 2020 में बर्खास्त कर दिया गया था। नीतीश कुमार उस समय भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी थे।

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