सीएम गेहलोत के करीबी रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा की लाल डायरी का क्या मामला है

By :Admin Published on : 24-Jul-2023
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राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है। राजस्थान में कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले राजेंद्र सिंह गुढ़ा वर्तमान में एक दूसरे के लिए विरोधी बन चुके हैं। गहलोत सरकार में मंत्री पद से बर्खास्त किये जाने के उपरांत गुढ़ा ने सोमवार को विधानसभा में प्रवेश करने का प्रयास किया। जिसके उपरांत वह मीडिया के समक्ष रोते हुए आए।


राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता है। राजस्थान में कभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी माने जाने वाले राजेंद्र सिंह गुढ़ा अब एक दूसरे के लिए विरोधी बन गए हैं।


मीडिया के सामने फूट-फूट कर रोए 


गहलोत सरकार में मंत्री पद से बर्खास्त किये जाने के पश्चात राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने सोमवार को विधानसभा में प्रवेश करने का प्रयास किया है। जिसके पश्चात वो मीडिया के समक्ष रोते हुए दिखाई दिए।


उन्होंने गहलोत सरकार और कांग्रेस पर आरोप लगाया है, कि उन्हें विधानसभा में प्रवेश करने के समय मारा-पीटा गया। राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने रोते हुए कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगाया है, कि उनके साथ 50 लोगों ने मारपीट की है।


गहलोत और पायलट की सियासी जंग में फंसे गुढ़ा


राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने बताया है, कि कांग्रेस नेताओं ने मुझे विधानसभा से बाहर खींच लिया। विधानसभा के अध्यक्ष ने मुझे बोलने की स्वीकृति नहीं दी है। मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, कि मैं बीजेपी के साथ हूं। मैं जानना चाहता हूं कि मेरी गलती क्या है?


झुंझुनूं के उदयपुरवाटी से बसपा के टिकट पर विधायक बने राजेंद्र गुढ़ा सीएम गहलोत से क्यों खफा हैं। इसके बहुत सारे राजनीतिक पहलू भी हैं। बताया जाता है, कि गुढ़ा गहलोत से इस  वजह से खफा हैं। क्योंकि, उनको मनचाहा विभाग नहीं मिला था। इसके साथ-साथ गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने सचिन पायलट का पक्ष लेना चालू कर दिया था, जिससे गहलोत से आहिस्ता-आहिस्ता उनका फासला बढ़ने लगे।


लाल डायरी प्रदर्शन के समय सदन में बहस 


सोमवार को शून्यकाल के दौरान सदन में तब अनियंत्रित हालत उत्पन्न हो गया। जब राजेंद्र सिंह गुढ़ा 'लाल डायरी' लेकर स्पीकर सीपी जोशी की कुर्सी के पास पहुंचे और उनसे बहस करने लग गए हैं। जैसे ही गुढ़ा ने लाल रंग की डायरी लहराई, स्पीकर ने उन्हें अपने कक्ष में आने के लिए कहा।


कुछ समयोपरांत राजेंद्र सिंह गुढ़ा संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के पास पहुंचे और उनसे भिड़ चुके हैं। सदन में बीजेपी विधायकों ने भी 'लाल डायरी' के मुद्दे पर हंगामा किया और सदन के वेल में पहुंच चुके हैं। हंगामा बढ़ने के उपरांत स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया है। उल्लेखनीय है, कि सदन चालू होने से पूर्व राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने संवाददाताओं से कहा था, कि वह आज विधानसभा में लाल डायरी के बारे में खुलासा करेंगे।


राजेंद्र सिंह गुढ़ा के बारे में जानकारी 


राजनीति में राजेंद्र सिंह गुढ़ा की पहली शुरुआत 2008 में हुई थी। बसपा के टिकट पर राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने 2008 में कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और भाजपा के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल किया है।


2008 में बसपा से चुनाव जीतने के पश्चात गुढ़ा ने बसपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इसके पश्चात 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से चुनावी मैदान में उतार दिया था। परंतु, उस समय राजेंद्र सिंह गुढ़ा चुनाव हार गये। इस वजह से 2018 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया।


राजेंद्र सिंह गुढ़ा 2008 में बसपा में शामिल हुए थे 


2008 के चुनाव में बसपा ने राजेंद्र सिंह गुढ़ा को पुनः पार्टी में आने का अवसर प्रदान किया, जिसके उपरांत फिर से गुढ़ा ने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा ने इस बार गुढ़ा को उदयपुरवाटी सीट से टिकट दिया। इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था। इस त्रिकोणीय चुनाव में गुढ़ा ने जीत हासिल की।


चुनाव जीतने के पश्चात मंत्री पद के लिए गुढ़ा ने बसपा से पुनः दगा किया और एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गये। गहलोत सरकार ने इन्हें राज्यमंत्री बना दिया। लेकिन गहलोत-पायलट विवाद में उन्होंने जमकर पायलट गुट का साथ दिया, जिसकी वजह से वह गहलोत के विरोधी बनते चले गए।


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