जानें सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टैस्ट फार्मूला के बारे में इससे योगी सरकार को भी मिली शिकस्त

By :Admin Published on : 08-Jan-2023
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योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के संबंध में 5 दिसंबर को अधिसूचना जारी की गयी थी। जिसके विरुद्ध इलाहाबाद हाईकोर्ट में काफी जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं। यूपी नगर निकाय चुनाव के सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बड़ा झटका झेलना पड़ा है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा दिये गए आदेशानुसार उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के बिना ही कराए जाने हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार की अधिसूचना जिसमें निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण से संबंधित अधिसूचना को पूर्ण रूप से नकारते हुए खारिज कर दिया गया है।  


इसकी वजह यह थी कि, सरकार की अधिसूचना के विरोध में बहुत सारी जनहित याचिकाएं दाखिल की जा चुकी थीं  जिनमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला के बिना ही अधिसूचना जारी करने का मामला सामने आया था। अब हम बात करेंगे सुप्रीम कोर्ट के उस ट्रिपल टेस्‍ट फॉर्मूला के बारे में जिसके तहत योगी सरकार को यूपी निकाय चुनाव में OBC आरक्षण के मामले में झटका झेलना पड़ा है।


सुप्रीम कोर्ट का ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला 


सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृष्णाराव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार एवं अन्य के मामले में ट्रिपल टेस्ट फार्मूला दिया गया था। जिसके मुताबिक, ओबीसी आरक्षण देने हेतु   प्रदेश के पिछड़े वर्ग द्वारा बताया जाना है, कि उनके वर्ग को आरक्षण देने की अत्यधिक आवश्यकता है अथवा नहीं और यदि है, तो कितने आरक्षण की जरूरत है। 



ट्रिपल टैस्ट के क्या-क्या मानक हैं ?



1. सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के मुताबिक, प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के पिछड़ेपन की स्थितियों (आर्थिक एवं शैक्षणिक), प्रकृति व प्रभाव का डेटा एकत्रित करने हेतु एक विशेष आयोग का गठन करना आवश्यक है।  


2. राज्य सरकार को इस विशेष आयोग द्वारा सिफारिशों के अनुरूप नगर निगम व नगरपालिका चुनाव में आनुपातिक आधार पर आरक्षण प्रदान करना होगा। 


3. राज्य सरकार को यह ध्यान रखना है, कि एससी-एसटी अथवा ओबीसी हेतु आरक्षित सीटों की संख्या 50 प्रतिशत के कुल आरक्षण की सीमा। 

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