कांग्रेस की 400 से ज्यादा सीट हांसिल करने की कहानी काफी रोमांचक

By :Admin Published on : 04-May-2024
कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2024 अपने जोरो शोरों पर है। पीएम मोदी और भाजपा के सभी नेता व कार्यकर्ता इस बार 400 पार के नारे लगा रहे हैं। सन् 1990 के विधानसभा चुनाव के वक्त राष्ट्रीय राजनीति की दिशा परिवर्तित हो गई थी। 

साल 1985 में राजीव गांधी के नेतृत्व में लोकसभा की 400 से अधिक सीटों के साथ कांग्रेस ने अपने इतिहास का सबसे बड़ा बहुमत अर्जित किया था।

जानकारी के लिए बतादें कि बोफोर्स तोपों के सौदे में दलाली लेने के आरोप में घिरकर राजीव गांधी 4 साल में ही बड़े राजनीतिक संकट में फंस गए। उनके वित्त मंत्री और बाद में रक्षामंत्री वीपी सिंह ने अपने पद से त्यागपत्र देकर विरोध का नेतृत्व किया। 

इस संकट से उभरने के लिए राजीव गांधी ने 1989 में समय से पहले ही लोकसभा के चुनाव कराए। हालांकि चुनाव में कांग्रेस के सबसे ज्यादा उम्मीदवार तो जीते, लेकिन स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। 

लोकप्रियता के ऊंचे शिखर पर पहुंचे वीपी सिंह नए प्रधानमंत्री बने। वामपंथी कम्युनिस्ट पार्टियों और दक्षिणपंथी भाजपा दोनों ने बाहर से उनका समर्थन किया। 

भारत की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ, जब दो विपरीत प्रभाव वाले राजनीतिक दलों ने मिलकर किसी सरकार का समर्थन किया हो। वर्ष 1990 के विधानसभा चुनावों के समय कांग्रेस की लोकप्रियता का ग्राफ बहुत नीचे आ गया था। 

वीपी सिंह सरकार के गठन के बाद लोकदल तथा पुरानी जनता पार्टी के नेताओं ने मिलकर जनता दल नाम से नए राजनीतिक दल का गठन किया। 

राजस्थान में जनता दल तथा भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा और विधानसभा चुनाव में बहुमत प्राप्त किया। अलवर में भाजपा व जनता दल के 7 उम्मीदवार जीते। कांग्रेस 4 सीटों पर ही सिमट गई। 

अलवर, थानागाजी और राजगढ़ में भाजपा जीती। बहरोड़, बानसूर, तिजारा व खैरथल में जनता दल के उम्मीदवार विधायक बने। वर्ष 1985 में जीतमल जैन, संपत राम और समरथलाल चुनाव हार गए थे। घासीराम यादव को टिकट नहीं मिला था। 

वर्ष 1990 में यह सभी पुराने नेता फिर विधायक बनने में सफल रहे। अलवर से जीतमल जैन ने कांग्रेस के उम्मीदवार छोटूसिंह आर्य को हराया। 

राजगढ़ में समरथ लाल ने कड़े मुकाबले में श्रीराम मीणा को 200 मतों के मामूली अंतर से पराजित किया। खैरथल में संपतराम कांग्रेस के चंद्रशेखर को हराकर पहली बार विधायक बने। 

मुंडावर से घासीराम यादव ने महेंद्र शास्त्री को हराया और फिर विधायक बने। जनता दल की ओर से बानसूर में जगत सिंह दायमा और तिजारा में जगमाल सिंह विधायक बने। 

जीतने के बाद भैरों सिंह शेखावत सरकार में जगमाल सिंह यादव कैबिनेट मंत्री तथा जगत सिंह दायमा राज्य मंत्री बने। लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस के ईश्वर लाल सैनी ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की।


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