भारत खरीद रहा फ्रांस से 26 राफेल मरीन, भारतीय सेना की बढ़ेगी शक्ति

By :Admin Published on : 30-Sep-2024
भारत

भारत और फ्रांस के मध्य होने वाली स्ट्रैटजिक डिफेंस पार्टनरशिप को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, फ्रांस ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक निर्धारित यात्रा से ठीक पहले 26 राफेल मरीन जेट सौदे के लिए भारत को फाइनल प्राइस ऑफर किया है।

रक्षा सूत्रों ने एएनआई को बताया कि प्रस्तावित अनुबंध में कठिन बातचीत के पश्चात मूल्य में उल्लेखनीय गिरावट की गई है और फ्रांसीसी पक्ष की तरफ से भारतीय अधिकारियों को बेस्ट फाइनल प्राइस ऑफर दिया गया है। 

बतादें, कि भारत और फ्रांस 26 राफेल मरीन जेट खरीदने के लिए सौदे पर बातचीत कर रहे हैं। इन्हें आईएनएस विक्रांत विमानवाहक पोत और विभिन्न ठिकानों पर तैनात किया जाएगा।

फ्रांस के अधिकारी विगत कुछ समय पूर्व ही दिल्ली आए थे 

दोनों पक्षों ने पिछले सप्ताह भी इस पर बातचीत की थी, जब भारत के साथ चर्चा को अंतिम रूप देने के लिए एक फ्रांसीसी टीम दिल्ली में थी. इस सौदे पर भारत-फ्रांस रणनीतिक वार्ता के दौरान चर्चा की जानी है, जहां भारतीय एनएसए कल पेरिस में अपने फ्रांसीसी समकक्षों से मिलने वाले हैं. 

यह सौदा भारतीय नौसेना के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह अपनी समुद्री हमला क्षमता को मजबूत करने पर विचार कर रही है. इसी कड़ी में 26 राफेल मरीन जेट पर बात हुई थी.

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जानिए अजित डोभाल की बैठक का एजेंडा क्या रहने वाला है ?

बतादें, कि एनएसए अजीत डोभाल सोमवार (30 सितंबर 2024) से 1 अक्टूबर 2024 तक फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे। वहां वह अपने समकक्ष और अन्य सीनियर अफसरों संग बैठक करेंगे। इस दौरान राफेल सौदा मीटिंग के मुख्य मुद्दों में से एक होगा। 

भारतीय पक्ष इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक फ्रांस से इस वार्ता को पूर्ण करने के लिए उत्सुक है। अगर यह सौदा हो जाता है, तो डसॉल्ट एविएशन के राफेल मरीन जेट वर्तमान में तैनात मिग-29 का स्थान लेंगे, जो हाल के वर्षों में किसी फ्रांसीसी रक्षा निर्माता से लड़ाकू जेट की भारत की दूसरी बड़ी खरीद होगी। इस खरीद में 22 सिंगल-सीट वाले राफेल मरीन विमान और चार ट्विन-सीटर ट्रेनर संस्करण शामिल हैं। 

जानिए भारत के लिए राफेल मरीन इतना क्यों खास है ?

एनएसए डोभाल और मैक्रों के डिप्लोमेटिक एडवाइजर बॉन के बीच न्यूक्लियर अटैक राफेल सबमरीन, 110 किलो के न्यूटन थ्रस्ट वाले एयरक्राफ्ट इंजन और अंडरवॉटर ड्रोन के मुद्दों पर भारत के साथ फ्रांस की डील पक्की होने पर मुहर लगेगी। 

इतना ही नहीं फ्रांस इन सबकी तकनीक भी भारत के साथ साझा करने को तैयार हो सकता है। अब यह प्रश्न उठता है, कि अंततः यह डील इतनी विशेष क्यों है।     

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चीन और पाकिस्तान को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

दरअसल, राफेल डील के पश्चात समंदर के भीतर भी भारत अपने शत्रुओं को सबक सिखाने के लिए तैयार हो जाएगा। दरअसल, न्यूक्लियर अटैक सबमरीन, अंडरवॉटर ड्रोन की इस डील के साथ हिंद महासागर में बढ़ती चीनी घुसपैठ पर पूर्णतय अंकुश लग जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं पाकिस्तान भी इसके दायरे में आ जाएगा। 

न्यूक्लियर अटैक सबमरीन से समंदर के भीतर दुश्मनों की हर एक हरकत पर नजर रखी जा सकेगी। वहीं, अंडरवॉटर ड्रोन भी भारत की ताकत को बढ़ाएगा। 110 किलो के न्यूटन थ्रस्ट वाले एयरक्राफ्ट इंजन की बात करें तो स्वदेशी विमानों में इनका उपयोग किया जा सकता है। 

ऐसा कहा जा सकता है, कि पाकिस्तान की नापाक हरकतों से लेकर चीन की सीनाजोरी तक पर भारत को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी करने में फ्रांस के साथ ये डील एक अहम पायदान सिद्ध होगी।

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