भाजपा का अभेद और अजेय किला बनी हुई है यह लोकसभा सीट

By :Admin Published on : 29-May-2024
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पटना साहिब, सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह महाराज का जन्मस्थल है। यह एक ऐतिहासिक भूमि है। आस्था और श्रद्धा का केंद्र, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। 

आपकी जानकारी के बतादें, कि नवीन परिसीमन के पश्चात पटना साहिब संसदीय क्षेत्र जब से अस्तित्व में आया तब से इस सीट पर भाजपा की जीत रही है। 

पटना साहिब सीट से 2009 और 2014 में भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव जीते। 2019 में पार्टी ने रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतारा और वह भी जीते। 

जानिए सीट पर इस बार मतदान समीकरण के बारे में। यह क्षेत्र जब से अस्तित्व में आया, तबसे यह सीट भाजपा के पास ही रही है। यह यहां का राजनीतिक परिदृश्य है। 

शत्रुघ्न सिन्हा बालीवुड स्टार थे, पर भाजपा में रहते हुए राजनेता के रूप में कहीं ज्यादा चर्चित हुए। उन्होंने पार्टी को छोड़ा कांग्रेस से चुनाव लड़ा और 2019 में रविशंकर प्रसाद से पराजित हो गए।

अभिनेताओं की चुनावी लड़ाई का किस्सा  

बतादें, कि इससे पहले के दो चुनावों में भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा के सामने भोजपुरी अभिनेता कुणाल सिंह और टीवी स्टार शेखर सुमन भी मैदान में उतारे गए, पर पार नहीं पा सके। 

भाजपा का वोट प्रतिशत विगत चुनाव में 61.85 प्रतिशत था। जो कि पिछले चुनावों के मुकाबले काफी बढ़ गया। इस बार के चुनाव में एनडीए से भाजपा प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ही मैदान में हैं। आईएनडीआईए से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अंशुल अविजित हैं। 

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रविशंकर का सफर छात्र राजनीति से हुआ शुरू 

रविशंकर पटना में छात्र राजनीति से ही सक्रिय रहे। यहीं पढ़े और वकालत करते हुए राजनीति की राह पकड़ी। चारा घोटाला में लालू प्रसाद के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में बहस भी की। 

रामजन्म भूमि मामले में भी पक्ष रखा। राज्यसभा के सदस्य रहे और जनता ने लोकसभा भी भेजा। अंशुल पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के पुत्र हैं। ये भी उच्च शिक्षित हैं, विदेश से पढ़ाई की है। मुख्य मुकाबले में यही दोनों हैं।

पटना साहिब का परिदृश्य अन्य सीटों से बिल्कुल अलग है 

अगर हम इस संसदीय सीट की बात करें तो बिहार के अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा यहां का परिदृश्य थोड़ा बदला हुआ है। यहां भी जातीय समीकरण से इन्कार नहीं किया जा सकता, पर मुद्दे भी हैं। 

राष्ट्रीय मुद्दों पर वोटिंग ट्रेंड रहा है। राष्ट्रवाद और विकास के मुद्दे प्रभावी हैं, भाजपा ने इसे केंद्र में रखा है। दूसरी ओर कांग्रेस संविधान खतरे में जैसे मुद्दों के साथ पैठ बनाने के प्रयास में है।

इस क्षेत्र में मुद्दों की बात करें तो क्षेत्रीय और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हुए विकास कार्य गिनाए जा रहे हैं। साथ ही, लोग स्थानीय समस्याओं पर भी बात कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र भी शहरीकरण की तरफ हैं। 

यहां की राजनीति पर भी इसका काफी असर पड़ा है। हालांकि, शहरी विकास को नियोजित नहीं कहा जा सकता है। इतना अवश्य है, कि खेतों में अपार्टमेंट निर्मित किए जा रहे हैं और बाद में नाली-सड़क की चिंता की जा रही है। इसलिए, लोगों की अपेक्षाएं भी काफी बढ़ गई हैं।

आर्थिक परिवेश किस तरह बदला है ? 

कई योजनाओं ने क्षेत्र के आर्थिक परिवेश को भी परिवर्तित कर डाला है। गंगा पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर पुल का हो रहा निर्माण इसमें महत्वपूर्ण है। गंगा पाथ वे हो या गांधी सेतु का कायाकल्प। 

अनिसाबाद से दीदारगंज फोरलेन के ऊपर एलिवेटेड रोड भी प्रस्तावित है। यहां के आर्थिक परिवेश में बदलाव की बात करें तो पटना-बख्तियारपुर फोर लेन बनने से क्षेत्र गोदाम हब के रूप में विकसित हो रहा है। इससे देश के दूसरे हिस्से से भी संपर्क तेजी से बढ़ा है।

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