आजकल बिहार राज्य का नाम हर न्यूज़ चैनल और अखबारों पर दिखाई दे रहा है। इसकी पहली वजह बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार हैं। क्योंकि इस बार नवगठित मोदी 3.0 में नितीश कुमार एक अहम स्तंभ हैं।
ऐसे में जनसुराज (Jan Suraaj) के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अब यह स्पष्ट कर दिया है, कि जनसुराज पार्टी का गठन कब होगा।
नितीश और लालू के कार्यकाल से प्रशांत किशोर बुरी तरह असंतुष्ट हैं। इसलिए बीते कई दिनों से प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) बिहार के विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेने की बात कर रहे हैं।
अगर वर्तमान की बात करें तो वह ताबड़तोड़ निरंतर विभिन्न जगहों पर जाकर लोगों को से संपर्क साध रहे हैं और संबोधित कर रहे हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही उन्होंने बहुत सारे नेताओं को घेरना चालू कर दिया है। प्रशांत किशोर बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) को लेकर काफी सक्रिय भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। पिछले कई दिनों से वह लगातार यह कह रहे हैं कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में जोर-शोर भाग लेगी।
दरअसल, प्रशांत किशोर ने जनसंबोधन के दौरान कहा कि "कुछ दिन पहले हम लोगों ने तय किया है कि 2 अक्टूबर को जब जन सुराज अभियान के 2 साल पूरे हों तब इसे पार्टी में तब्दील किया जाएगा।"
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प्रशांत किशोर का कहना है, कि 2 अक्टूबर को जब दल के रूप में जन सुराज की औपचारिक घोषणा होगी, तब ये देश की पहली ऐसी पार्टी होगी। जिसके बनते ही एक करोड़ सदस्य होंगे।
यह पहला ऐसा दल होगा, जिसे बनाने वाला किसी समुदाय, परिवार और जाति विशेष से नहीं होगा। इसे बिहार भर के लोग मिलकर बना रहे होंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि इसके नेता ना प्रशांत किशोर थे, ना होंगे। जो लोग इस पार्टी को बनाएंगे, 2 अक्टूबर को वे लोग मिलकर इसका संविधान भी बनाएंगे। वे लोग चुनाव के जरिए से इसका नेता चयन करेंगे। इसका नेता कभी प्रशांत किशोर नहीं हो सकते हैं।
जनसंबोधन के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि "मैंने पहले ही घोषणा कर दी है, कि मैं यहां नेता बनने नहीं आया हूं, हमारी भूमिका सूत्रधार की है।
उन्होंने कहा कि विधायक और मंत्री ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री तक बनाने में मेरी भूमिका रही है। इतना ही नहीं, देश में 10 मुख्यमंत्री भी बनाए, लेकिन इस काम को 2 साल पहले छोड़ दिया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि लोग कहते हैं कि हम जिसका हाथ पकड़ लें, वही जीतकर राजा हो जाता है। तो हमने यह तय किया है कि अब किसी दल या नेता का नहीं बल्कि बिहार की जनता का हाथ पकड़ते हैं, ताकि आप में जो सक्षम आदमी है, वह जीतकर आए और बिहार को आगे बढ़ाए।